विश्व मृदा दिवस पर जिला स्तरीय जैविक कृषि मेले का आयोजन

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विश्व मृदा दिवस

विश्व मृदा दिवस के अवसर पर कृषि विभाग और कृषि विज्ञान केन्द्र के संयुक्त तत्वावधान में कृषि विज्ञान केन्द्र, बिलासपुर में एक दिवसीय जिला स्तरीय जैविक कृषि मेले का आयोजन किया गया।


मुख्य अतिथि का संदेश

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डीन डॉ. आर.के.एस. तिवारी ने किसानों से मृदा परीक्षण के बाद ही उर्वरकों का उपयोग करने की अपील की। उन्होंने अंधाधुंध उर्वरक उपयोग से बचने और संतुलित मात्रा में उर्वरकों के प्रयोग की सलाह दी, जिससे मृदा की उर्वरता बनी रहे और धन की बर्बादी रोकी जा सके।


विशेषज्ञों के विचार और मार्गदर्शन

  1. पीडी हथेस्वर (उप संचालक, कृषि) ने मृदा की उर्वरता बचाने और जैविक खाद का उपयोग करने पर जोर दिया।
  2. डॉ. अरुण कुमार त्रिपाठी (वरिष्ठ वैज्ञानिक) ने प्राकृतिक खेती के लाभ और जैविक खेती के महत्व पर चर्चा की।
  3. डॉ. पीके केसरी (मृदा वैज्ञानिक) ने मृदा परीक्षण की आवश्यकता और प्रक्रिया पर विस्तार से जानकारी दी।
  4. डॉ. शिल्पा कौशिक (वैज्ञानिक) ने मृदा स्वास्थ्य को प्राकृतिक खेती के माध्यम से मजबूत बनाने के उपाय बताए।
  5. डॉ. अमित शुक्ला ने टपक सिंचाई पद्धति और घुलनशील उर्वरकों के उपयोग से मृदा प्रदूषण को रोकने के तरीकों पर प्रकाश डाला।
  6. डॉ. एकता ताम्रकार और डॉ. स्वाति शर्मा ने फसलों पर कीट व्याधि नियंत्रण के उपायों पर चर्चा की।
  7. इंजीनियर पंकज मिंज ने खेती में कृषि यंत्रों के उपयोग और उनके फायदों के बारे में जानकारी दी।

पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता

विशिष्ट अतिथि शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक शाला की प्राचार्या, आशा दत्ता ने कहा कि मृदा पर्यावरण का एक महत्वपूर्ण घटक है। उन्होंने आने वाली पीढ़ियों के लिए मृदा की उर्वरता बनाए रखने और प्रदूषण से बचाने की आवश्यकता पर जोर दिया।


कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएँ

  • बड़ी संख्या में किसान और छात्र-छात्राओं की उपस्थिति।
  • मंच संचालन डॉ. शिल्पा कौशिक ने किया।
  • कार्यक्रम का समापन डॉ. अमित शुक्ला द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।
  • कार्यक्रम को सफल बनाने में अनिल कौशिक, हेमकांति बंजारे, डॉ. निवेदिता पाठक, डॉ. चंचला रानी पटेल, सुशीला ओहदार, डॉ. स्वाति शर्मा सहित कृषि विभाग और कृषि विज्ञान केन्द्र के अन्य अधिकारियों का योगदान रहा।

निष्कर्ष

यह कार्यक्रम मृदा की उर्वरता बनाए रखने और जैविक खेती को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ। किसानों और छात्रों को मृदा संरक्षण के महत्व से अवगत कराने के लिए यह मेला सफल रहा।


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