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660 करोड़ के सीजीएमएससी घोटाले में 4 आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिका खारिज

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हाईकोर्ट का फैसला: घोटाले की जांच में आरोपियों की भूमिका स्पष्ट, जमानत नहीं

बिलासपुर। हाईकोर्ट ने मंगलवार को 660 करोड़ रुपये के सीजीएमएससी (छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड) घोटाले में शामिल चार आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। इस घोटाले की जांच एसीबी (एंटी करप्शन ब्यूरो) और ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध अन्वेषण प्रकोष्ठ) द्वारा की जा रही है। कोर्ट ने माना कि मेडिकल उपकरण खरीदी और रीएजेंट आपूर्ति घोटाले की प्रारंभिक जांच में आरोपियों की भूमिका सामने आई है, इसलिए उन्हें अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती।

कैसे हुआ घोटाला?

एसीबी और ईओडब्ल्यू की जांच में सामने आया कि मोक्षित कॉर्पोरेशन, रिकॉर्डर्स एंड मेडिकेयर सिस्टम्स, श्री शारदा इंडस्ट्रीज और सीबी कॉर्पोरेशन ने टेंडर प्रक्रिया में हेराफेरी कर घोटाले को अंजाम दिया। वर्ष 2021 में स्वास्थ्य विभाग द्वारा मेडिकल उपकरणों और मशीनों की खरीद प्रक्रिया शुरू की गई थी। सीजीएमएससी ने महज 26-27 दिनों में 660 करोड़ रुपये की खरीदी का आदेश जारी किया, जिसमें भारी अनियमितताएं पाई गईं।

  • मशीनों की जरूरत का सही आकलन नहीं किया गया, फिर भी बड़े पैमाने पर खरीदी हुई।
  • भंडारण की उचित व्यवस्था न होने के बावजूद उपकरण स्वास्थ्य केंद्रों में स्टोर करा दिए गए।
  • रीएजेंट सप्लाई करने वाली कंपनी को नियमों को ताक पर रखकर फायदा पहुंचाया गया।
  • ईडीटीए ट्यूब, जिसे अन्य संस्थाएं ₹8.50 प्रति नग में खरीद रही थीं, उसे ₹2352 प्रति नग में खरीदा गया, जिससे सरकार को करोड़ों का नुकसान हुआ।

चार कंपनियों की मिलीभगत उजागर

रिकॉर्डर्स एंड मेडिकेयर सिस्टम्स ने मोक्षित कॉर्पोरेशन और अन्य कंपनियों के साथ मिलकर टेंडर प्रक्रिया में धांधली की। जांच में पता चला कि चारों कंपनियों के उत्पाद एक जैसे थे, जिससे टेंडर में मिलीभगत का संदेह बढ़ा।

  • मोक्षित कॉर्पोरेशन के डायरेक्टर शशांक को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है।
  • इसके बाद फर्म के प्रमोटर और कर्मचारी अविनेश कुमार, राजेश गुप्ता, अभिषेक कौशल और नीरज गुप्ता ने संभावित गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की।

हाईकोर्ट ने याचिका क्यों खारिज की?

राज्य सरकार की ओर से उप महाधिवक्ता डॉ. सौरभ पांडेय ने कोर्ट में दलील दी कि तीनों कंपनियों ने पूल टेंडरिंग (मिलीभगत कर टेंडर हासिल करना) की थी।

highcourt
  • तीनों कंपनियों द्वारा पेश किए गए रीएजेंट के नाम, पैकेजिंग और दरें एक समान थीं, जो सामान्य प्रक्रिया के खिलाफ है।
  • आरोपी अविनेश कुमार टेंडर संबंधी दस्तावेज तैयार करने और निविदा प्रक्रिया में शामिल रहे।
  • मोक्षित कॉर्पोरेशन के पार्टनर शशांक चोपड़ा पहले से ही रिकॉर्डर्स एंड मेडिकेयर सिस्टम्स के लिए लाइजनिंग का कार्य कर चुके थे, जिससे दोनों कंपनियों के बीच पहले से संबंध थे।

कोर्ट ने दिया यह फैसला

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि मामले की जांच अभी शुरुआती चरण में है और कई सह-आरोपियों को पहले ही हिरासत में लिया जा चुका है। प्रारंभिक जांच में आरोपियों की संलिप्तता प्रथम दृष्टया सामने आई है, इसलिए अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती। हाईकोर्ट ने चारों आरोपियों की याचिका खारिज कर दी।


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