हाईकोर्ट ने 55 वर्ष से अधिक उम्र के अधिकारी के नक्सलाइट प्रभावित क्षेत्र में स्थानांतरण को अनुचित ठहराया है। कोर्ट ने इसे राज्य की स्थानांतरण नीति का उल्लंघन बताते हुए स्थानांतरण पर रोक लगा दी है।
मामला क्या है?
नेहरूनगर, बिलासपुर निवासी डी.आर. ठाकुर, जो पुलिस थाना कुसमुण्डा, जिला कोरबा में सब इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत हैं, का स्थानांतरण पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) द्वारा नक्सल प्रभावित जिला दंतेवाड़ा किया गया। इससे ठाकुर ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने स्थानांतरण आदेश को चुनौती दी।
स्थानांतरण नीति का उल्लंघन
याचिका में यह बताया गया कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा 3 जून 2015 को जारी सर्कुलर के अनुसार, 55 वर्ष से अधिक उम्र के अधिकारी-कर्मचारियों का नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्थानांतरण नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही, पुलिस महानिदेशक द्वारा 28 मई 2018 को जारी स्थानांतरण नीति में यह भी कहा गया था कि उपनिरीक्षक स्तर के अधिकारियों को सेवानिवृत्ति से दो वर्ष पहले उनके गृह जिले में ही पदस्थ किया जाएगा।
याचिकाकर्ता की आयु और कोर्ट का आदेश
याचिकाकर्ता की वर्तमान आयु 60 वर्ष 6 महीने है और उनका सेवानिवृत्त होने में मात्र डेढ़ वर्ष शेष है। बावजूद इसके, उन्हें दंतेवाड़ा जैसे अति संवेदनशील नक्सल प्रभावित क्षेत्र में स्थानांतरित किया गया। कोर्ट ने इसे राज्य की स्थानांतरण नीति का उल्लंघन मानते हुए, स्थानांतरण पर तत्काल स्थगन (स्टे) दे दिया और गृह विभाग को निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ता के मामले का समाधान नीतिगत तरीके से करें।
न्यायालय का निर्णय
यह निर्णय छत्तीसगढ़ राज्य की स्थानांतरण नीति की अहमियत को दर्शाता है और यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी कर्मचारी के स्थानांतरण में पारदर्शिता और नीति का पालन किया जाए। कोर्ट ने गृह विभाग को निर्देश दिए कि वे याचिकाकर्ता के स्थानांतरण को नीति के तहत पुनः जांचे।
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