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बिलासपुर। फर्जी डिग्री वाले डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य के खिलाफ बड़ा कदम उठाते हुए जिला कांग्रेस कमेटी बिलासपुर ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। कांग्रेसजनों ने इस मामले में अपोलो अस्पताल प्रबंधन और तत्कालीन सीएमएचओ की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए हैं और आरोपियों के खिलाफ एफआईआर व उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
ज्ञापन में कांग्रेस ने कहा कि फर्जी डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य ने कार्डियोलॉजिस्ट के रूप में अपोलो अस्पताल में न केवल इलाज किया, बल्कि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल सहित कई लोगों की हार्ट सर्जरी भी की, जिनकी बाद में मृत्यु हो गई।
गंभीर लापरवाही का आरोप: अपोलो और सीएमएचओ ने क्यों नहीं की डिग्री की जांच?
ग्रामीण कांग्रेस अध्यक्ष विजय केशरवानी ने बताया कि डॉक्टर की डिग्री की पुष्टि किए बिना अपोलो अस्पताल जैसी प्रतिष्ठित संस्था द्वारा नौकरी पर रखना न केवल लापरवाही है बल्कि जानबूझकर की गई लापरवाही प्रतीत होती है। उन्होंने आरोप लगाया कि अपोलो ने अपने ऑपरेशन थिएटर को “प्रयोगशाला” बना दिया, जहाँ लोगों की ज़िंदगी से खिलवाड़ किया गया।
शिकायतों को दबाने का आरोप
ज्ञापन में बताया गया कि राजेन्द्र शुक्ल की मृत्यु के बाद उनके पुत्र प्रो. प्रदीप शुक्ल ने अपोलो और सीएमएचओ को लिखित शिकायत दी थी, पर इस पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ. कर्नल वायएस दुबे द्वारा की गई जांच में विक्रमादित्य की डिग्री फर्जी पाई गई थी, जिसकी जानकारी सीएमएचओ और अपोलो को दी गई थी, लेकिन दोनों ने रिपोर्ट को जानबूझकर दबा दिया।
मांग: पीड़ितों को मुआवज़ा, दोषियों पर एफआईआर
कांग्रेस ने मांग की है कि अपोलो अस्पताल द्वारा फर्जी डॉक्टर के जरिए किए गए सभी ऑपरेशनों की फीस पीड़ितों को ब्याज सहित लौटाई जाए। साथ ही, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष के इलाज में खर्च किए गए सरकारी 20 लाख रुपये भी राज्य खजाने में वापस जमा कराए जाएं।

इनके खिलाफ FIR और जांच की मांग की गई:
- तत्कालीन सीएमएचओ (जिन्होंने IMA रिपोर्ट दबाई)
- डॉ. प्रताप रेड्डी, चेयरमैन, अपोलो ग्रुप
- प्रीथा रेड्डी, एक्जीक्यूटिव चेयरमैन, अपोलो ग्रुप
- डॉ. मनीष महू, रीजनल हेड, अपोलो हॉस्पिटल्स
- अर्णव राहा, यूनिट हेड, अपोलो बिलासपुर
- नरेंद्र विक्रमादित्य यादव (फर्जी डॉक्टर)
कांग्रेस ने चेताया कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो इस मामले को जन आंदोलन के रूप में उठाया जाएगा।
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