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बिलासपुर। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षक से हेड मास्टर के पद पर पदोन्नत शिक्षकों की पोस्टिंग पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। बिना काउंसिलिंग के मनमाने ढंग से किए गए पदस्थापना आदेशों को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
याचिकाकर्ता सूरज कुमार सोनी, हलधर प्रसाद साहू, रमेश कुमार साहू, शिप्रा सिंह बघेल और ज्ञानचंद पांडे, सभी सहायक शिक्षक (एलबी.) के पद पर कार्यरत हैं। वे विभिन्न शासकीय प्राथमिक शालाओं में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इन्हें हाल ही में हेड मास्टर के पद पर पदोन्नत किया गया, परंतु स्कूल शिक्षा विभाग ने काउंसिलिंग प्रक्रिया को दरकिनार करते हुए मनमाने ढंग से इनकी पदस्थापना कर दी। इन शिक्षकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में कहा कि विभाग ने राज्य शासन द्वारा 7 फरवरी 2022, 7 नवंबर 2022 और 29 मार्च 2023 को जारी दिशा-निर्देशों की अनदेखी की है।
30 दिन में निर्णय लें, तब तक शिक्षक पूर्ववर्ती स्कूलों में पदस्थ रहेंगे

याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से मांग की कि विभाग को इन दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए ही नियुक्ति प्रक्रिया को पूरा करने का निर्देश दिया जाए। जस्टिस बीडी. गुरु की एकलपीठ ने याचिकाकर्ताओं के तर्कों को गंभीरता से लेते हुए हेड मास्टर के पद पर किए गए पदस्थापना आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने लोक शिक्षण संचालनालय (डीपीआई) को निर्देश दिया है कि याचिकाकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत अभ्यावेदन पर 30 दिनों के भीतर निर्णय लिया जाए।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब तक डीपीआई द्वारा अंतिम निर्णय नहीं लिया जाता, तब तक याचिकाकर्ता शिक्षक अपने पूर्ववर्ती पदस्थ स्कूलों में ही कार्यरत रहेंगे।
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