Ad Image

Contact on vpsbharat24@gmail.com for your ad

पेंशन प्रकरण में पैसों की डिमांड करने वाली दो महिला लिपिकों पर गिरी निलंबन की गाज

👇 खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

Listen to this article

कांकेर: जिले के खण्ड शिक्षा अधिकारी (BEO) कार्यालय में तैनात दो महिला लिपिकों के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की गई है। इन दोनों कर्मचारियों पर आरोप है कि वे पेंशन प्रकरणों के लिए पैसे की डिमांड कर रही थीं। यह मामला तब सामने आया जब दोनों के बीच पैसों के लेन-देन से संबंधित एक ऑडियो वायरल हुआ, जिसे लेकर काफी विवाद हुआ।

बीते दिनों यह ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें इन दोनों महिला लिपिकों – जागृति साहू और दीपा निषाद – के बीच पैसों की मांग की बातचीत सुनाई दे रही थी। इसके बाद जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) ने इस गंभीर मामले को संज्ञान में लिया और तत्काल प्रभाव से दोनों कर्मचारियों के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की।

गौरतलब है कि इन दोनों महिला लिपिकों को शो कॉज नोटिस भी जारी किया गया था, लेकिन उनकी तरफ से कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिलने पर उनके कृत्य को छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के खिलाफ पाया गया। इसके बाद दोनों को निलंबित करने का निर्णय लिया गया।

पेंशन प्रकरण में पैसों की डिमांड करने वाली दो महिला लिपिकों पर गिरी निलंबन की गाज
कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी

निलंबन की अवधि में जागृति साहू का मुख्यालय भानुप्रतापपुर और दीपा निषाद का मुख्यालय नरहरपुर निर्धारित किया गया है। निलंबन के दौरान इन्हें जीवन निर्वाह भत्ते की पात्रता होगी।

इस घटना ने सरकारी विभागों में कर्मचारियों के आचार-व्यवहार और कार्यों के प्रति पारदर्शिता की आवश्यकता को एक बार फिर से उजागर किया है।

पेंशन प्रकरण में पैसों की डिमांड करने वाली दो महिला लिपिकों पर गिरी निलंबन की गाज


Discover more from VPS Bharat

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Related Posts

शराब घोटाला मामले में पूर्व मंत्री कवासी लखमा की गिरफ्तारी, बोले- मुझे साजिश के तहत फंसाया गया

छत्तीसगढ़ के चर्चित शराब घोटाले में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार किया है। शराब घोटाले में उनकी भूमिका के चलते राज्य को करोड़ों का नुकसान हुआ। कोर्ट में पेशी के बाद उन्हें 14 दिन की न्यायिक रिमांड पर भेज दिया गया, जो राज्य की राजनीति में हलचल पैदा करने वाला है।

सुप्रीम कोर्ट ने दुख जताया- पिता का शव दफनाने व्यक्ति को शीर्ष अदालत आना पड़ा

पिता का अंतिम संस्कार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक का सफर!
एक व्यक्ति को अपने पिता का शव दफनाने की अनुमति लेने के लिए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट ने इस घटना पर गहरी चिंता और दुख जताते हुए इसे एक “मानवीय त्रासदी” करार दिया। जानें, इस मामले की पूरी कहानी और अदालत की अहम टिप्पणियां।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *