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गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. चक्रवाल ने ‘विकसित भारत 2047’ संगोष्ठी में सामाजिक उद्यमिता की महत्ता पर बल दिया

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बिलासपुर। गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (केंद्रीय विश्वविद्यालय), जिसे नैक द्वारा A++ ग्रेड प्रदान किया गया है, के माननीय कुलपति प्रो. आलोक कुमार चक्रवाल झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय, रांची में आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। संगोष्ठी का आयोजन 21-22 मार्च 2025 को झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय के वाणिज्य एवं वित्तीय अध्ययन विभाग द्वारा किया गया था।

इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का विषय था—
“India’s Journey Towards Viksit Bharat 2047: Exploring Synergies Between Social Equity, Economic Growth, and Global Interdependence for a Sustainable and Resilient Future”, जिसका उद्देश्य 2047 तक विकसित भारत के निर्माण में सामाजिक समरसता, आर्थिक प्रगति और वैश्विक सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा करना था।

शिक्षा और सामाजिक उद्यमिता से होगा विकसित भारत का निर्माण – प्रो. चक्रवाल

समापन सत्र को संबोधित करते हुए प्रो. चक्रवाल ने शिक्षा और शिक्षकों की भूमिका को भारत के विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा—

“हमें ऐसे विद्यार्थियों को तैयार करना होगा, जो शिक्षा के माध्यम से सामाजिक उत्तरदायित्वों को समझें और राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाएं। युवाओं में सामाजिक उद्यमिता की भावना विकसित करना समय की आवश्यकता है। हमें भारतीय ज्ञान परंपरा को आधुनिक शिक्षा प्रणाली में समाहित कर, वैश्विक आवश्यकताओं के अनुरूप विद्यार्थियों के कौशल विकास पर ध्यान देना होगा।”

उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की विशेषताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि—

  1. अनुभवजन्य शिक्षा (Experiential Learning)
  2. कौशल और उद्यमिता विकास (Skill & Entrepreneurship Development)
  3. मातृभाषा में शिक्षा (Education in Mother Tongue)
  4. रोजगार उन्मुख शिक्षा (Employment-Oriented Education)
  5. शिक्षा का अंतरराष्ट्रीयकरण (Internationalization of Education)
  6. उद्योगों की आवश्यकताओं के अनुरूप पाठ्यक्रम (Industry-Oriented Curriculum)

इन बिंदुओं पर विशेष ध्यान देकर भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाया जा सकता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि गुरु घासीदास विश्वविद्यालय में “स्वावलंबी छत्तीसगढ़” जैसी योजनाएं विद्यार्थियों को सामाजिक सरोकारों से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

देश-विदेश के विद्वानों ने साझा किए विचार

इस संगोष्ठी में देश-विदेश के ख्याति प्राप्त विद्वान और विशेषज्ञ शामिल हुए।

  • प्रो. मुनिम बाराय (ग्रेजुएट स्कूल ऑफ मैनेजमेंट, रित्समेकन एशिया पैसिफिक यूनिवर्सिटी, जापान)
  • प्रो. वल्लीप्पन राजू (वरिष्ठ निदेशक शोध, एमएएचएसए विश्वविद्यालय, मलेशिया)
  • प्रो. भीमारया मैत्री (निदेशक, आईआईएम नागपुर)
  • श्री अजय कुमार (निदेशक, सीसीएल)
  • श्री इंद्रजीत यादव (निदेशक, एमएसएमई)
  • प्रो. अजय कुमार सिंह (दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स)

संगोष्ठी का सफल आयोजन

अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का सफल संचालन झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय के वाणिज्य एवं वित्तीय अध्ययन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. बटेश्वर सिंह के संयोजन में संपन्न हुआ।


यह संगोष्ठी विकसित भारत 2047 की संकल्पना को साकार करने में शिक्षा, सामाजिक उद्यमिता और वैश्विक सहयोग की भूमिका को रेखांकित करने में सफल रही।


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