छठ महापर्व : छठ घाट पर पाटलिपुत्र संस्कृति विकास मंच आज करेगा अरपा मइया की महाआरती

नहाय खाय के साथ छठ महापर्व की शुरुआत आज, व्रती कद्दू-भात का करेंगे सेवन
प्रकृति पूजन आधारित छठ 4 दिवसीय महापर्व है। 5 नवंबर 2024, मंगलवार से महापर्व छठ की शुरुआत हो रही है। छठ पूजा के पहले दिन नहाय खाय होता है। इस दिन व्रती महिलाएं सात्विक भोजन ग्रहण करती हैं। नहाय खाय के साथ शुरू हुआ छठ पूजा चौथे दिन सुबह उगते हुए सूर्य को अघ्र्य देने के बाद समाप्त होता है। शहर के छठ घाट पर पाटलिपुत्र संस्कृति विकास मंच की ओर से अरपा नदी के छठ घाट पर सायं महाआरती की जाएगी। इस अवसर पर लगभग 10 हजार से अधिक दीए अरपा घाट पर प्रज्ज्वलित कर नदी में प्रवाहित किए जाएंगे।

नहाय खाय के दिन इन नियमों का करें पालन
छठ पूजा के इन चार दिनों तक व्रती महिलाएं व्रत से जुड़े नियमों का पालन करती हैं।  नहाय खाय के दिन सबसे पहले पूरे घर को साफ-सुथरा कर लें। छठ का व्रत करने वाली व्रती महिलाएं नहाय खाय के दिन प्रात:काल उठकर स्नान आदि कर लें। अगर संभव हो तो नहाय खाय के दिन नया वस्त्र पहनें वरना कोई भी साफ-सुथरा कपड़ा पहन सकते हैं। इसके बाद भगवान सूर्य को जल अर्पित कर पूजा करें। नहाय खाय का भोजन सूर्यदेव को भोग लगाने के बाद ही खाएंन् नहाय खाय के दिन सात्विक भोजन बनाया जाता है। इस दिन प्याज-लहसुन भूलकर भी न खाएं। नहाय खाय के दिन कद्दू की सब्जी, लौकी चने की दाल और भात यानी चावल खाया जाता है। नहाय खाय के दिन तैयार किया गया भोजन सबसे पहले व्रत रखने वाली महिलाएं ही खाएं। इसके बाद परिवार के अन्य सदस्य खाएं।नहाय खाय के दिन परिवार के लोग भी सात्विक भोजन ही खाएं।

छठ पूजा नहाय खाय महत्व
नहाय खाय के दिन व्रत करने वाली महिलाएं तालाब, नदी में स्नान करती हैं। अगर ऐसा संभव नहीं है घर पर ही स्नान कर लें। छठ पूजा में नहाय खाय का विशेष महत्व होता है। कहते हैं कि इस दिन व्रत करनी वाली महिलाएं सात्विक आहार ग्रहण कर खुद को पावन और पवित्र छठ पूजा के लिए तैयार करती हैं। नहाय खाय का भोजन व्रती के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।

छठ एकमात्र पर्व जिसमें अस्ताचलगामी सूर्य की होती है पूजा
कार्तिक माह, शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को सूर्य भगवान की पूजा का विशेष महात्म्य है। इस दिन पुत्रवती सुहागिन स्त्रियां धन- सम्पति, पति-पुत्र, सुख-समृद्धि एवं ऐश्वर्य से परिपूर्ण रहने के लिए सूर्य षष्ठी नामक यह व्रत पूर्ण श्रद्धा एवं विश्वास के साथ करती हैं। यह व्रत डाला छठ के नाम से भी प्रसिद्ध है। छठ पूजा ही एकमात्रा ऐसा त्योहार है जिसमें डूबते सूर्य को अघ्र्य दिया जाता है। सूर्य के प्रति समर्पित छठ में शिव-पार्वती के प्रथम पुत्र कार्तिकेय (स्कंध) की भी पूजा की जाती है।


Discover more from VPS Bharat

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Related Posts

महामाया महिला समिति द्वारा श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन

महामाया महिला समिति द्वारा संगीत मय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया गया है। आयोजन के चौथे दिन कथावाचक परमपूज्य बालव्यास आचार्य सुयश दुबे ने श्रद्धालुओं को श्रीकृष्ण जन्म और उनकी बाल लीलाओं की कथा सुनाई। बालव्यास ने बताया कि श्रीमद् भागवत कथा सुनना अनेक जन्मों के पुण्य का फल है।…

मार्गशीर्ष माह का पहला गुरुवार: लक्ष्मी पूजा से बढ़ेगी समृद्धि और सुख

मार्गशीर्ष माह (अगहन) का पहला गुरुवार आज श्रद्धा और भक्ति से ओत-प्रोत है। यह महीना भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का प्रिय माना जाता है। अगहन के प्रत्येक गुरुवार को लक्ष्मी पूजन करने की परंपरा रही है, जिससे सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है। मंगलवार से प्रारंभ हुए इस पवित्र महीने…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Discover more from VPS Bharat

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading