महामाया महिला समिति द्वारा संगीत मय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया गया है। आयोजन के चौथे दिन कथावाचक परमपूज्य बालव्यास आचार्य सुयश दुबे ने श्रद्धालुओं को श्रीकृष्ण जन्म और उनकी बाल लीलाओं की कथा सुनाई।
बालव्यास ने बताया कि श्रीमद् भागवत कथा सुनना अनेक जन्मों के पुण्य का फल है। यह कथा जीवन जीने की कला सिखाती है। उन्होंने कहा कि जीवन परमात्मा का उपहार है, और इसे सही तरीके से जीने का ज्ञान सत्संग के माध्यम से ही मिलता है।
सत्संग का महत्व और भगवान का अवतार
कथावाचक ने कहा कि भगवान श्रीहरि अपने भक्तों की सहायता के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। जब-जब धरती पर पाप और अनाचार बढ़ता है, भगवान किसी न किसी रूप में अवतरित होकर पापियों का नाश करते हैं।
- कंस का अंत: जब कंस के अत्याचार हद से बढ़ गए, तब भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया और उनका वध करके लोगों को पापी राजा से मुक्ति दिलाई।
- उन्होंने श्रद्धालुओं को सत्संग के महत्व को समझाया और कहा कि यह जीवन को सही दिशा देने में सहायक है।
कलयुग में दुख के कारण
बालव्यास ने तीन मुख्य कारण बताए जो कलयुग में दुख का कारण बनते हैं:
- समय का प्रभाव।
- कर्मों का फल।
- स्वभाव से उत्पन्न समस्याएं।
उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति स्वभाव से दुखी है, वह सुखी नहीं हो सकता।
अनीति और मोह-माया पर विचार
कथावाचक ने कहा कि:
- आज के समय में लोग मोह-माया में फंसकर अनुचित तरीके से धन कमाने में लगे हैं।
- जिस घर में अनीति से कमाया धन होता है, वहां परिवार में कभी एकता और सुख-शांति नहीं रहती।
- ऐसा करना अंततः दुख और कलह का कारण बनता है।
श्रद्धालुओं की सहभागिता
कथा सुनने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु आयोजन स्थल पर पहुंचे।
- कथा के अंत में महाआरती का आयोजन हुआ।
- आरती के बाद श्रद्धालुओं में प्रसाद का वितरण किया गया।
आयोजन स्थल पर भक्तों के बीच भक्ति और श्रद्धा का माहौल देखने को मिला।
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