विश्व शांति और प्राणी मात्र के सुख-समृद्धि व कल्याण की मंगल कामना के साथ श्री 1008 आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर, क्रांतिनगर में आयोजित सिद्धचक्र महामंडल विधान का समापन हवन और शोभायात्रा के साथ भव्य रूप से संपन्न हुआ।
आठ दिवसीय विधान का समापन
- आयोजन की शुरुआत प्रातः 6 बजे श्री जी के अभिषेक और शांति धारा से हुई।
- विधानाचार्य बाल ब्रह्मचारी मनोज भैया और पंडित मधुर जैन जी के मार्गदर्शन में आठ दिवसीय विधान निर्विघ्न संपन्न हुआ।
- विधान के दौरान भक्तों ने 2,000 से अधिक जाप माला पूरी की।
- विधान का समापन हवन, सरस्वती पूजन, और सामूहिक प्रार्थना के साथ हुआ।
विशेष शोभायात्रा का आयोजन
समापन दिवस पर श्री जी को विमान में विराजमान कर शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें जैन धर्म की ध्वज लहराते अश्व और बैंड बाजे शोभा यात्रा का हिस्सा बने। यह आयोजन ऐतिहासिक रूप से पहली बार हुआ।
सिद्धचक्र विधान की महिमा
विधानाचार्य जी ने इस विधान की महत्ता बताते हुए कहा कि:
- यह अनुष्ठान जीवन के सभी पाप और संताप को नष्ट करता है।
- समता और संयम से कर्म पर विजय प्राप्त करने का संदेश देता है।
- गुरु भक्ति को जीवन की उन्नति का मार्ग बताया गया।
आध्यात्मिक संदेश और संकल्प
विधानाचार्य जी ने भक्तों को जीवन में कभी भी आत्महत्या का विचार न लाने का संकल्प दिलाया।
पंडित मधुर जैन ने सम्मेद शिखरजी तीर्थ की वंदना का महत्व बताया, जहां 24 में से 20 तीर्थंकरों ने मोक्ष प्राप्त किया।
समर्पण और आयोजन समिति
इस आयोजन का मुख्य समर्पण सेठ विनोद रंजना जैन परिवार और उनके सहयोगियों द्वारा किया गया।
- श्रावक-श्राविकाओं ने भजन और भक्ति के माध्यम से अपनी श्रद्धा अर्पित की।
- समाज के सभी वर्गों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।
महत्वपूर्ण संदेश
यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि समाज को नैतिकता, शांति, और सद्भाव का संदेश देने में सफल रहा।
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