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महामाया कुंड में कछुओं की मौत का मामला: आरोपी पुजारी को हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत

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रतनपुर स्थित प्रसिद्ध महामाया मंदिर के कुंड में मृत मिले कछुओं के मामले में आरोपी पुजारी सतीश शर्मा को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत दे दी है। शर्मा श्री सिद्ध शक्तिपीठ महामाया मंदिर ट्रस्ट समिति के उपाध्यक्ष भी हैं। उनके खिलाफ वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 9 के तहत मामला दर्ज किया गया था।

सोमवार को चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा की अध्यक्षता वाली पीठ में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान बिलासपुर डीएफओ द्वारा प्रस्तुत शपथपत्र को लेकर अदालत ने कड़ी नाराज़गी जताई। चीफ जस्टिस ने तल्ख टिप्पणी करते हुए पूछा, “ये डीएफओ कौन हैं? क्या पढ़े हैं? आईएफएस रैंक के अधिकारी होने के बावजूद इन्हें यह तक नहीं मालूम कि किस अपराध में कौन-सी धाराएं लगाई जानी चाहिए!”

🔍 क्या है मामला?

2 मार्च 2025 को ट्रस्ट की बैठक में नवरात्रि से पहले मंदिर परिसर, गार्डन और तालाब की सफाई करने का निर्णय लिया गया था। याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि पुजारी ने कोई शिकार नहीं किया, बल्कि सफाई कार्य ट्रस्ट समिति के निर्देश पर कराया गया था। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि जिस धारा के तहत अपराध दर्ज किया गया है, वह केवल शिकार की स्थिति में लागू होती है, जबकि यहाँ मामला अलग है।

कोर्ट ने पूछा कि रात 12 बजे सफाई क्यों की गई? अधिवक्ता ने बताया कि यह कार्य मंदिर परिसर के अंदर होने के कारण रात में किया गया था।

सरकारी अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि मृत कछुए वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम की अनुसूची-1 में सूचीबद्ध हैं। एफआईआर तीन गवाहों के बयान और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर दर्ज की गई थी।

⚖️ कोर्ट की टिप्पणी और आदेश

डीएफओ की कार्यशैली पर नाराज़गी जताते हुए कोर्ट ने कहा,
“डीएफओ को यह तक पता नहीं कि किस अपराध में कौन-सी धारा लगानी है। एफआईआर दर्ज करने में लापरवाही स्पष्ट है।”

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ने आरोपी पुजारी की अग्रिम जमानत याचिका स्वीकार कर ली


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