गुरु घासीदास जयंती के अवसर पर यदुनंदन नगर में राष्ट्रीय कवि संगम इकाई, बिलासपुर द्वारा गुरु घासीदास के सत्य नाम मंत्र, उनके सामाजिक योगदान और उपदेशों पर आधारित एक विमर्श एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम श्रद्धांजलि और उत्सव का संगम बना, जहां गुरु घासीदास की शिक्षाओं को मनाया गया।
कार्यक्रम का प्रारंभ मां सरस्वती और गुरु घासीदास के चित्रों के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं सरस्वती वंदना से हुआ। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की योजना पर भी गहन चर्चाएं हुईं।
गुरु घासीदास के योगदान पर डॉ. विनय कुमार पाठक का संबोधन
गुरु घासीदास ने छत्तीसगढ़ में सामाजिक जागरूकता और आध्यात्मिक चेतना को प्रोत्साहित किया
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. विनय कुमार पाठक ने गुरु घासीदास के जीवन और उनके सतनाम पंथ के सिद्धांतों पर प्रकाश डाला। उन्होंने गुरु घासीदास को निर्गुण संत परंपरा का साधक बताते हुए कहा कि उनका योगदान छत्तीसगढ़ में सामाजिक बुराइयों को दूर करने और जन चेतना को जागरूक करने में अनमोल है। डॉ. पाठक ने यह भी रेखांकित किया कि गुरु घासीदास के सिद्धांत पंथी गीतों में लोकगीतों की परंपरा के अनुरूप मिलते हैं।
छत्तीसगढ़ी भाषा के संरक्षण पर चर्चा
आठवीं अनुसूची में छत्तीसगढ़ी भाषा के समावेश की आवश्यकता
कार्यक्रम के दौरान डॉ. विवेक तिवारी, जिला संयोजक, छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग, बिलासपुर ने छत्तीसगढ़ी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए किए जा रहे प्रयासों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जिला स्तर पर इस उद्देश्य के लिए विशेष कार्ययोजना बनाई गई है।
गुरु घासीदास के जीवन पर विद्वत विचार
संत गुरू घासीदास के योगदान का किया गया गहन विश्लेषण
कार्यक्रम में डॉ. अरुण कुमार यदू, डॉ. राघवेन्द्र दुबे, व्ही.के. तिवारी, हीरा सिंह चाहिल, अशोक कुमार शर्मा और श्रीमती शोभा चाहिल ने संत गुरू घासीदास के जीवन और उनके कार्यों पर विस्तार से चर्चा की। सभी ने उनके आध्यात्मिक और सामाजिक योगदान को सराहा और छत्तीसगढ़ में जागरूकता लाने के लिए उनके प्रयासों की सराहना की।
काव्य गोष्ठी में गुरु घासीदास के संदेश पर रचनाकारों ने की प्रस्तुति
काव्य रचनाओं के माध्यम से गुरु घासीदास के विचारों का किया गया प्रचार
कार्यक्रम के दूसरे चरण में गुरु घासीदास के जीवन और उनके संदेशों पर आधारित काव्य रचनाओं का पाठन किया गया। रचनाकारों ने अपने गीतों और कविताओं के माध्यम से श्रोताओं को गुरु घासीदास के विचारों से प्रेरित किया। इस गोष्ठी में श्रीमती पूर्णिमा तिवारी, अंकुर शुक्ला ‘खाबर’, विपुल तिवारी, डॉ. विवेक तिवारी, दिनेश कुमार तिवारी, रामेश्वर शाण्डिल्य, हीरा सिंह चाहिल, श्रीमती जलेश्वरी वस्त्रकार, अशोक कुमार शर्मा, छवींद्र सहारे, डॉ. ओम प्रकाश बिरथरे, राकेश खरे, नरेंद्र कुमार शुक्ला, आशीष श्रीवास, शत्रुघ्न जसवानी, राकेश अयोध्या, डॉ. राघवेन्द्र दुबे, डॉ. अरुण कुमार यदू, अंजनी कुमार तिवारी ‘सुधाकर’ सहित अन्य रचनाकारों ने भाग लिया।
समारोह में प्रबुद्ध नागरिकों की उपस्थिति
सम्मान पत्र से किया गया रचनाकारों का सम्मान
कार्यक्रम में श्रीमती अनुराधा राव, श्रीमती आशा सिंह, श्रीमती जागृति चाहिल, श्री अंकुर चाहिल और यदुनंदन नगर के प्रबुद्ध नागरिकों की उल्लेखनीय उपस्थिति रही। सभी रचनाकारों और भाग लेने वालों को सम्मान पत्र से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का सफल संचालन अंजनी कुमार तिवारी ‘सुधाकर’ ने किया, जबकि स्वागत संबोधन हीरा सिंह चाहिल और आभार प्रदर्शन श्रीमती पूर्णिमा तिवारी द्वारा किया गया।
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