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बिलासपुर। नगर निगम चुनाव में इस बार भी मतदान का प्रतिशत कम रहा। मंगलवार को हुए मतदान में शहर के सिर्फ आधे लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, जबकि बाकी ने वोट डालने की जरूरत ही नहीं समझी। सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक हुए मतदान में बिलासपुर नगर निगम क्षेत्र में महज 51.37% वोटिंग दर्ज की गई, जबकि जिले का औसत मतदान 54.41% रहा।
चुनाव के दौरान कई मतदान केंद्रों के बाहर कार्यकर्ताओं के बीच झड़प और धक्का-मुक्की की घटनाएं भी सामने आईं। मेयर पद के लिए 8 उम्मीदवार और 272 वार्ड पार्षद प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं, जिनका भाग्य अब ईवीएम में कैद हो चुका है। इस चुनाव में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है।
राजनीतिक हस्तियों ने डाला वोट
डिप्टी सीएम अरुण साव, भाजपा-कांग्रेस के प्रत्याशी, हाईकोर्ट के जज, विधायक और अधिकारी समेत कई महत्वपूर्ण व्यक्तियों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। वार्ड क्रमांक-13 में कांग्रेस प्रत्याशी का जाति प्रमाणपत्र न जमा होने के कारण नामांकन रद्द कर दिया गया, जिससे एक पार्षद प्रत्याशी निर्विरोध चुना गया। चुनाव में करीब ढाई हजार अधिकारी-कर्मचारी सुरक्षा व्यवस्था में तैनात रहे। अब सभी को 15 फरवरी का इंतजार है, जब शहर की नई सरकार चुनी जाएगी।
तीसरी बार कम मतदान का सिलसिला जारी
यह लगातार तीसरी बार है जब निगम चुनाव में मतदान का प्रतिशत कम रहा है। 2019 में नगर निगम चुनाव में 57.11% और जिले में 60% वोटिंग हुई थी। जबकि 2014 में 56% मतदान दर्ज किया गया था। इस बार प्रचार भी कम देखने को मिला, जिससे वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने में निर्वाचन आयोग असफल रहा।

हर वर्ग ने किया मतदान, दिव्यांग और बुजुर्ग भी रहे आगे
हालांकि, मतदान करने वालों में युवा, दिव्यांग, वरिष्ठ नागरिक और महिलाएं सभी शामिल रहे। रतनपुर के पुराना बस स्टैंड हाईस्कूल केंद्र क्रमांक 260 में दृष्टिबाधित दिव्यांग निलेश सूर्यवंशी ने पहली बार मतदान किया और मतदान केंद्र में उन्हें विशेष सहायक की सुविधा दी गई।
77 वर्षीय रामकुमारी बाई और दिव्यांग भागमती बाई ने भी वोट डालने के बाद खुशी जाहिर की। रतनपुर के ओछिनापारा और नवापारा के मतदान केंद्रों पर भी बड़ी संख्या में मतदाता वोट डालने पहुंचे।
अब सभी की निगाहें चुनाव परिणामों पर टिकी हैं, जिससे तय होगा कि इस बार शहर की बागडोर किसके हाथ में जाएगी।
