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बिलासपुर। प्रदेश में अवैध रेत खनन को लेकर हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा है कि नदी में अवैध रेत खुदाई लगातार जारी है, और केवल जुर्माना लगाने से समस्या हल नहीं होगी। हाईकोर्ट ने सवाल किया कि माइनिंग एंड मिनरल एक्ट लागू होने के बावजूद दोषियों पर सख्त कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही? कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बड़े पैमाने पर अवैध खनन करने वाले मामूली जुर्माना भरकर उससे 100 गुना ज्यादा कमा लेते हैं। ऐसे में बार-बार अपराध करने वालों पर गंभीर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही?
खनन रोकने के लिए कमेटी तैयार करेगी रिपोर्ट, कानून होंगे सख्त
सोमवार को सुनवाई के दौरान शासन की ओर से बताया गया कि अवैध खनन रोकने के लिए चार सदस्यीय कमेटी गठित की गई है, जो अन्य राज्यों में लागू नीतियों का अध्ययन कर रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। इसी के आधार पर कठोर कानून बनाए जाएंगे।
अरपा नदी में गंदे पानी की समस्या: 26 मार्च को एमआईसी में प्रस्ताव पास होगा
अरपा नदी में गंदे पानी के प्रवाह को रोकने के लिए पुणे की एक कंपनी से विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार करवाई जा रही है। 26 मार्च को रायपुर नगर निगम की एमआईसी बैठक में प्रस्ताव स्वीकृत होने के बाद शासन को फंडिंग के लिए भेजा जाएगा, ताकि इस दिशा में आगे कार्य शुरू किया जा सके। मामले की अगली सुनवाई 22 अप्रैल को होगी।
रेत खनन को संज्ञेय अपराध घोषित करने की जरूरत
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि अवैध रेत खुदाई को संज्ञेय अपराध की श्रेणी में लाना आवश्यक है। कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि यदि कोई बार-बार अवैध माइनिंग करता है, तो उसे सिर्फ जुर्माना लगाकर नहीं छोड़ा जा सकता। अवैध खनन के कारण कई निर्दोष लोगों की जान जा चुकी है। राज्य सरकार ने बताया कि अब अवैध खनन और परिवहन करने वालों पर FIR दर्ज कराई जा रही है और मोटर व्हीकल एक्ट के तहत भी कार्रवाई हो रही है।
अधिकारियों के रवैये पर हाईकोर्ट की नाराजगी
अरपा नदी संरक्षण से जुड़ी जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने अधिकारियों के लापरवाह रवैये पर सवाल उठाए। कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि “फावड़ा लेकर फोटो खिंचवाने से नदी में पानी नहीं आएगा।”
निगम की ओर से बताया गया कि मौजूदा सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) के माध्यम से मार्च 2025 तक 60% गंदे पानी का ट्रीटमेंट किया जा सकता है। शेष 40% पानी के निस्तारण के लिए पुणे की एक कंपनी से DPR मांगी गई थी, लेकिन उसे मंजूरी नहीं दी गई। निगम ने फंड की कमी का हवाला दिया, जिस पर कोर्ट ने नए सिरे से विस्तृत कार्ययोजना तैयार कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।
6 साल बाद भी कोई ठोस कदम नहीं

2019 से चल रही जनहित याचिका के बावजूद अरपा नदी में गंदे पानी की निकासी रोकने के लिए अब तक कोई ठोस इंतजाम नहीं किया गया है। बिना ट्रीटमेंट के 70 से अधिक नालों का गंदा पानी अरपा में बहाया जा रहा है। हाईकोर्ट ने अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा कि शहर और आसपास के इलाकों से रोज़ 130 MLD गंदे पानी की निकासी हो रही है, जिससे अरपा नदी बुरी तरह प्रदूषित हो चुकी है। जल संसाधन विभाग ने नदी में बारहमासी जल प्रवाह बनाए रखने के लिए पचरी घाट और शिव घाट पर दो बैराज बनाए हैं, जो लगभग पूरे हो चुके हैं, लेकिन प्रदूषण नियंत्रण के लिए कोई ठोस कार्य नहीं किया गया है।
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और निगम प्रशासन को अरपा नदी को संरक्षित करने के लिए त्वरित और प्रभावी कदम उठाने का निर्देश दिया है।
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