हाईकोर्ट में शासन की प्रगति रिपोर्ट पेश
बिलासपुर। औद्योगिक प्रदूषण के मामले में सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान शासन ने हाईकोर्ट को बताया कि कोर्ट कमिश्नरों की रिपोर्ट के आधार पर उद्योगों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की गई है। इसके साथ ही दोषियों के खिलाफ मामले भी दर्ज किए जा रहे हैं। इस पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की विशेष डिवीजन बेंच ने अगली सुनवाई की तारीख 10 जनवरी निर्धारित की है।
मजदूरों पर प्रदूषण का गंभीर प्रभाव
प्रदेश में संचालित कई औद्योगिक इकाइयों में काम करने वाले मजदूर सीमेंट और लोहे की धूल के कारण गंभीर बीमारियों का सामना कर रहे हैं। फेफड़ों पर इसका सबसे अधिक असर देखा जा रहा है। इस स्थिति को लेकर हाईकोर्ट में उत्कल सेवा समिति, लक्ष्मी चौहान, गोविंद अग्रवाल, अमरनाथ अग्रवाल सहित अन्य ने जनहित याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस प्रकार की समस्याओं पर पहले ही निर्देश दिए हैं।
न्यायमित्रों को सौंपी गई थी जिम्मेदारी
हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एडवोकेट प्रतीक शर्मा, पीआर पाटनकर सहित 11 न्यायमित्र नियुक्त किए थे। इनसे प्रदेश की औद्योगिक इकाइयों में प्रदूषण से हो रही परेशानियों का डाटा मांगा गया था। इसके बाद सभी न्यायमित्रों को कोर्ट कमिश्नर का दायित्व सौंपा गया, और उन्होंने अपनी रिपोर्ट पेश की।
60 से अधिक प्लांटों पर आई शिकायतें
शासन के अनुसार, राज्य में 60 से अधिक स्पंज आयरन और सीमेंट प्लांटों से प्रदूषण की शिकायतें मिली हैं। इन शिकायतों के आधार पर औद्योगिक इकाइयों में कार्रवाई शुरू की गई है। कई जगह दोषियों पर प्रकरण दर्ज किए गए हैं।
अगली सुनवाई 10 जनवरी को
शासन ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि कार्रवाई तेजी से जारी है और दोषियों को दंडित करने की प्रक्रिया चल रही है। कोर्ट ने मामले में शासन को और समय देते हुए अगली सुनवाई 10 जनवरी को तय की है।
प्रदूषण रोकने के लिए बड़े कदम उठाने की आवश्यकता
औद्योगिक प्रदूषण के बढ़ते खतरे को देखते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि शासन को कठोर नीतियां बनानी चाहिए। साथ ही, मजदूरों की सुरक्षा के लिए बेहतर उपाय सुनिश्चित किए जाने की आवश्यकता है।
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