कलेक्टर ने कोर्ट को दी जानकारी, 2 दिन में जांच रिपोर्ट की समय सीमा
पुराना बस स्टैंड के पास कश्यप कॉलोनी में निस्तारी नाले पर कब्जे और बिना अनुमति जमीन बेचने के मामले में बिलासपुर कलेक्टर ने हाईकोर्ट को बताया कि जांच के लिए 5 सदस्यीय समिति गठित की गई है। समिति को 2 दिन के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। मामले की अगली सुनवाई 3 दिसंबर को होगी।
नाले के स्थान परिवर्तन से बारिश में जलभराव का आरोप
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच में गुरुवार को सुनवाई के दौरान नगर निगम आयुक्त ने भी शपथपत्र दाखिल किया। आयुक्त ने बताया कि इस क्षेत्र में पहले एक कच्चा नाला बहता था। याचिकाकर्ता के वकील ने बहस में आरोप लगाया कि कुछ बड़े कारोबारियों को लाभ पहुंचाने के लिए नाले को अलग स्थान पर शिफ्ट कर दिया गया।
वकील ने तर्क दिया कि नाले के स्थान परिवर्तन और अवैध कब्जे के कारण क्षेत्र में बारिश के दौरान सड़क पर पानी भरने की समस्या उत्पन्न हो गई है। कलेक्टर ने मामले की जांच शुरू करने और रिपोर्ट सौंपने के लिए 2 दिन का समय मांगा, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया।
याचिका में 15 पक्षकार शामिल
इस मामले में दाखिल जनहित याचिका में राज्य शासन, कलेक्टर, नगर निगम आयुक्त, नगर और ग्राम निवेश विभाग, तहसीलदार, और भूमि स्वामी प्रदीप बजाज सहित 15 व्यक्तियों को पक्षकार बनाया गया है। याचिका के अनुसार, अवैध निर्माण और नाले पर कब्जा स्थानीय जनता के हितों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है।
बिना डायवर्सन होटल निर्माण और अवैध बिक्री का आरोप
याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि पुराना बस स्टैंड के पास स्थित महुआ होटल का निर्माण बिना भूमि डायवर्सन के कृषि भूमि पर किया गया। बाद में इस होटल को 56 करोड़ रुपये में बेचा गया।
होटल भवन को तोड़कर जमीन के टुकड़ों की बिक्री
होटल का भवन गिराने के बाद इसे बिना अनुमति छोटे-छोटे टुकड़ों में बेच दिया गया। इसके साथ ही होटल के पास स्थित निस्तारी नाले पर कब्जा कर लिया गया, जिससे आसपास के क्षेत्र में बारिश के मौसम में जलभराव की समस्या उत्पन्न हो गई।
कोर्ट ने कलेक्टर और आयुक्त से मांगा जवाब
हाईकोर्ट ने मामले में गंभीरता दिखाते हुए बिलासपुर कलेक्टर और नगर निगम आयुक्त को नोटिस जारी कर जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि जांच निष्पक्ष और समयबद्ध हो।
अगली सुनवाई 3 दिसंबर को
जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट 3 दिसंबर को अगली सुनवाई में मामले की प्रगति की समीक्षा करेगा। यह मामला स्थानीय प्रशासन और विकास कार्यों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
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