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हाईकोर्ट ने मध्यान्ह भोजन की खराब क्वालिटी के मामले में स्वतः संज्ञान याचिका को बुधवार को सुनवाई के बाद निराकृत कर दिया। चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने बच्चों को मेनू के अनुसार गुणवत्तायुक्त भोजन उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।
याचिका का मूल मुद्दा
बिलासपुर के सेंट्रल किचन से बच्चों के लिए भेजे गए मध्यान्ह भोजन की खराब क्वालिटी की शिकायत पर कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया था। राजेंद्र नगर स्कूल में घटिया भोजन और मेनू के अनुरूप भोजन न होने की जानकारी सामने आने के बाद कोर्ट ने राज्य शासन, कलेक्टर और डीईओ बिलासपुर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।
राज्य शासन का पक्ष
राज्य शासन की ओर से उप महाधिवक्ता शशांक ठाकुर ने कोर्ट में पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि सेंट्रल किचन में मध्यान्ह भोजन बनाते समय पूरी सावधानी बरती जाती है और गुणवत्ता का ध्यान रखा जाता है। जिस मामले में भोजन मवेशियों को खिलाया गया, वह बच्चों के खाने के बाद बचा हुआ भोजन था।
कोर्ट की टिप्पणी और निर्देश
डीईओ बिलासपुर ने शपथ पत्र के माध्यम से कोर्ट को जवाब प्रस्तुत किया। सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस की बेंच ने कहा कि बच्चों को गुणवत्तायुक्त और मेनू के अनुसार भोजन मिलना चाहिए। कोर्ट ने संबंधित अधिकारियों को इस दिशा में विशेष ध्यान देने का निर्देश देते हुए याचिका को निराकृत कर दिया।
यह मामला स्कूलों में बच्चों को दिए जाने वाले मध्यान्ह भोजन की गुणवत्ता सुनिश्चित करने की आवश्यकता को रेखांकित करता है और राज्य शासन को इस दिशा में सावधानी बरतने की जिम्मेदारी की याद दिलाता है।
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