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मेडिटेशन, सकारात्मक चिंतन, समय प्रबंधन व आपसी सम्मान से होंगे तनावमुक्त – ब्र.कु. मंजू दीदी

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क्रोध करने या चिड़चिड़ाने के बाद हम सभी को गिल्ट या अफसोस ही होता है क्योंकि शान्ति या खुशी आत्मा का स्वरूप है, स्वधर्म है। लेकिन हमने अपने बिलीफ सिस्टम में ये डाल दिया है कि गुस्से के बिना कार्य नहीं होता जो कि हमारे जीवन में तनाव का मुख्य कारण है। विज्ञान ने भी प्रमाणित किया है कि केवल 5 मिनट का गुस्सा हमारे दो घण्टे कार्य करने की शक्ति को नष्ट कर देता है जबकि 20 मिनट का शक्तिशाली मेडिटेशन हमारे आठ घण्टे की नींद को पूरी कर देता है।

ये बातें आयुर्वेदिक कॉलेज के नए बैच के छात्र-छात्राओं के लिए स्ट्रेस मैनेजमेन्ट विषय पर आयोजित सत्र को सम्बोधित करते हुए महाविद्यालय की एण्टी रैगिंग कमिटी एवं एथिकल कमिटी की सदस्या, ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा सेवाकेन्द्र प्रभारी ब्र.कु. मंजू दीदी ने कही। उन्होंने अपने व्यक्तिगत अनुभवों के आधार पर तनाव के विभिन्न कारणों व उन्हें प्रबंध करने के तरीके के बारे में विद्यार्थियों को बताया।

उन्होंने कहा कि जीवन में आध्यात्म को अपनाने से हम दो सौ प्रतिशत जीवन जी पाते हैं – सौ प्रतिशत भौतिक और सौ प्रतिशत आध्यात्मिक। आध्यात्म का अर्थ कोई सफेद या गेरुआ वस्त्र धारण करना नहीं है बल्कि अपने कर्म में योग को शामिल करना है। अकादमिक लाइफ जीवन का एक हिस्सा है और जब आध्यात्म पूरे जीवन पर अच्छा प्रभाव डालता है तो हमारे शिक्षण काल में भी अवश्य सकारात्मक प्रभाव डालता है।

अपने निजी अनुभव साझा करते हुए उन्होंने बतलाया कि महज 9 वर्ष की आयु में ही ब्रह्माकुमारीज़ संस्था से जुड़ने के पश्चात् भी पढ़ाई में स्नातक, चार विषयों में स्नातकोत्तर व बी.एड. आदि डिग्रियां प्राप्त की।

आज जिसे हम प्यार समझते हैं वह महज एक शारीरिक आकर्षण मात्र है। हमारे प्राचीन शास्त्रों में भी 25 वर्ष तक ब्रह्मचर्य आश्रम का वर्णन किया गया है जिससे विद्यार्थी जीवन प्रभावपूर्ण बनता है। आज शारीरिक खुबसूरती को निखारने के लिए जगह-जगह ब्यूटी पार्लर खुल चुके हैं लेकिन आज आवश्यकता है प्रतिदिन सत्संग की, जहां से मिले हुए अच्छे विचारों से आत्मा की सुन्दरता बढ़ेगी। पुरानी नकारात्मक बातों को पकड़े रहना भी मानसिक पीड़ा का मुख्य कारण है। अपने को अच्छा बनाने के लिए पुरानी बातों को भूल दिनचर्या व्यवस्थित करें व अपने समय का प्रबंध करें।

दीदी ने सभी बच्चों से कहा कि जिन्हें भी अपनी कॉउंसलिंग कराना हो वे सेवाकेन्द्र पर आकर दीदी से मिल कर अपनी समस्याओं का समाधान प्राप्त कर सकते हैं।

सभी विद्यार्थियों को प्रेरित करते व शुभकामनाएं देते हुए आपने कहा कि आयुर्वेद के क्षेत्र को चुनकर आपने बहुत अच्छा निर्णय लिया है क्योंकि भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद है और आने वाला समय भी आयुर्वेद का ही है।

दीदी ने सभी को म्यूज़िकल एक्सरसाइज का भी अभ्यास कराया। कार्यक्रम के दौरान महाविद्यालय की प्रोफेसर डॉ. मीनू खरे, डॉ. प्रवीण मिश्रा, डॉ. वी. पी. मरकाम, डॉ. कविता प्रधान, रजनीकांत शर्मा सर, ब्र.कु. पूर्णिमा, विक्रम भाई एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।


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