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यदुवंशियों ने मांदर की थाप पर शौर्य का किया प्रदर्शन, सांस्कृतिक छटा बिखेरी

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शहर में राउत नाच महोत्सव की शुरुआत बड़े ही धूमधाम से हुई। मंगलवार शाम मंगला के बजरंग चौक छपराभाठा में आयोजित इस महोत्सव में पारंपरिक वेशभूषा में यदुवंशियों ने मांदर की थाप पर शौर्य प्रदर्शन किया। लोक कलाकारों ने छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत करते हुए अद्भुत नृत्य व गायन प्रस्तुत किया। इस महोत्सव में शहरभर की दर्जनों मंडलियों ने भाग लिया और अपनी कला से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया।

महत्वपूर्ण पहल: नशामुक्ति का संदेश

इस बार के आयोजन की खास बात रही कि मंगला राउत नाच महोत्सव समिति ने नशे से मुक्ति का संदेश दिया। कलाकारों ने तुलसीदास और कबीरदास के दोहों के माध्यम से समाज में जागरूकता फैलाने का प्रयास किया। समिति ने न केवल इस पारंपरिक उत्सव को जीवित रखा, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की अपील भी की।

शौर्य प्रदर्शन और सांस्कृतिक झलक

महोत्सव में अनुशासन, लाठी चलाने की कला, गायन और नृत्य के विभिन्न पहलुओं का प्रदर्शन किया गया।

  • श्रीकृष्ण और बलराम का माखन लिए मंचन आकर्षण का केंद्र रहा।
  • कलाकारों के एक से बढ़कर एक शौर्य प्रदर्शन और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों को दर्शकों ने खूब सराहा।

समारोह में उपस्थित गणमान्य व्यक्ति

इस महोत्सव में मुख्य अतिथि विधायक अमर अग्रवाल, बिल्हा विधायक धरमलाल कौशिक, और बेलतरा विधायक सुशांत शुक्ला रहे।
विशिष्ट अतिथि कोटा विधायक अटल श्रीवास्तव और पूर्व विधायक रजनीश सिंह ने भी आयोजन की सराहना की। महापौर रामशरण यादव ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की।

रातभर चला सांस्कृतिक उत्सव

  • मंडलियों ने देर रात तक नाचा की शानदार प्रस्तुतियां दीं।
  • बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे भी इस आयोजन का हिस्सा बने।
  • महोत्सव के प्रति लोगों का बढ़ता उत्साह और कलाकारों की अद्भुत प्रतिभा ने आयोजन को सफल बनाया।

सांस्कृतिक और सामाजिक धरोहर का संरक्षण

राउत नाच महोत्सव ने न केवल पारंपरिक लोककला को जीवित रखा, बल्कि समाज में जागरूकता और बदलाव का संदेश भी दिया।

  • इस महोत्सव का उद्देश्य राउत समाज की सकारात्मक छवि को स्थापित करना और पारंपरिक नृत्य कला को संरक्षित रखना है।
  • यह आयोजन साबित करता है कि सांस्कृतिक धरोहर केवल मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि समाज को प्रेरित करने का एक मजबूत माध्यम भी है।

राउत नाच महोत्सव छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का प्रतीक है, जो समृद्धि, एकता और जागरूकता का संदेश देता है।


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