हाईकोर्ट को मेरिट पर सुनवाई के आदेश
शराब घोटाले के आरोपी अनवर ढेबर की जमानत सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दी है। जमानत हाईकोर्ट द्वारा एक मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर दी गई थी, जो जांच में फर्जी पाई गई। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को हाईकोर्ट को वापस भेजते हुए निर्देश दिया है कि प्रकरण की सुनवाई मेरिट पर की जाए।
फर्जी मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर मिली थी जमानत
अनवर ढेबर, जो प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) के मामलों में आरोपी है, ने हाईकोर्ट में किडनी की समस्या का हवाला देकर जमानत मांगी थी। इसके लिए रायपुर के डीकेएस अस्पताल के डॉक्टर द्वारा जारी एक मेडिकल रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी।
हाईकोर्ट ने इस रिपोर्ट के आधार पर जमानत मंजूर कर दी थी। लेकिन ईओडब्ल्यू ने अनवर की मेडिकल जांच एम्स रायपुर में कराई, जिसमें उसकी रिपोर्ट में बताई गई बीमारी की पुष्टि नहीं हुई। इस फर्जी रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई।
एम्स की रिपोर्ट ने किया खुलासा
ईडी के अधिवक्ता सौरभ पांडे ने सुप्रीम कोर्ट में बहस के दौरान एम्स रायपुर की रिपोर्ट प्रस्तुत की। एम्स की जांच में यह साबित हुआ कि अनवर की रिपोर्ट में जो बीमारी बताई गई थी, वह गलत थी। इस तथ्य के उजागर होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने जमानत रद्द कर दी और मामला हाईकोर्ट को सुनवाई के लिए भेज दिया।
डॉक्टर पर कार्रवाई: नौकरी से बर्खास्त
फर्जी रिपोर्ट बनाने वाले डीकेएस अस्पताल के गैस्ट्रो सर्जन डॉ. प्रवेश शुक्ला पर पहले ही कार्रवाई हो चुकी है। जब डॉक्टर की लिखी ओपीडी पर्ची पर सवाल उठे, तो अस्पताल प्रबंधन ने इसकी जांच की। जांच में डॉक्टर की भूमिका संदिग्ध पाई गई।
8 अगस्त 2024 को अस्पताल प्रबंधन ने आदेश जारी करते हुए डॉ. शुक्ला को बर्खास्त कर दिया। आदेश में यह भी उल्लेख किया गया कि डॉक्टर ने जानबूझकर अनवर ढेबर को बचाने के लिए फर्जी रिपोर्ट तैयार की थी।
ईडी और ईओडब्ल्यू की कड़ी निगरानी
अनवर ढेबर पर ईडी और ईओडब्ल्यू दोनों मामलों में कार्रवाई जारी है। यह मामला शराब घोटाले और भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ है, जिसमें राज्य के बड़े नेताओं और अधिकारियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से मामले में निष्पक्षता की उम्मीद बढ़ी है।