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सुप्रीम कोर्ट ने जशपुर जिले की महिला सरपंच को पद से हटाने का आदेश रद्द कर दिया। कोर्ट ने उन अधिकारियों की जांच का निर्देश दिया, जिन्होंने उसे परेशान किया। राज्य सरकार पर 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की खंडपीठ ने निर्माण कार्यों में देरी के बहाने सरपंच को परेशान करने पर राज्य सरकार को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा, “यह एक निर्वाचित सरपंच को हटाने में अधिकारियों की मनमानी का मामला है, जो एक युवा महिला है और जिसने दूरदराज इलाके में अपने गांव की सेवा करने का सोचा था। उसकी मदद करने के बजाय उसे अन्याय किया गया।”
कोर्ट ने सवाल उठाया- निर्माण में देरी के लिए सरपंच कैसे जिम्मेदार?
कोर्ट ने कहा कि निर्माण में मौसम, इंजीनियरों, ठेकेदारों और सामग्री की आपूर्ति से जुड़ी समस्याएं होती हैं। सरपंच को देरी के लिए दोषी ठहराना सही नहीं है। इसलिए आदेश रद्द कर दिए गए हैं। अपीलकर्ता अपना कार्यकाल पूरा होने तक सरपंच के पद पर रहेंगी।

जुर्माना और मुकदमेबाजी
कोर्ट ने कहा कि सरपंच को परेशान किया गया है, इसलिए उसे 1 लाख रुपये का हर्जाना मिलेगा। छत्तीसगढ़ सरकार को यह राशि 4 सप्ताह के भीतर देना होगा। कोर्ट ने अधिकारियों से जांच करने को कहा और उन्हें दोषी अधिकारियों से राशि वसूलने का निर्देश दिया।
मामला
2020 में, सोनम लकरा ने जशपुर जिले के सजबहार ग्राम की सरपंच के रूप में चुनाव जीता। पंचायत में 10 निर्माण कार्य शुरू किए गए। 16 दिसंबर 2022 को, जनपद पंचायत के सीईओ ने तीन महीने के भीतर काम पूरा करने का आदेश दिया। देरी होने पर सरपंच को आरोपित किया गया और 26 मई 2023 को नोटिस जारी किया गया। सरपंच ने आरोपों से इनकार किया, लेकिन जनवरी 2024 में उन्हें हटा दिया गया। कोर्ट में याचिका दाखिल की गई, और सुप्रीम कोर्ट ने राहत दी।