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नारी शक्ति की मिसाल: चुन्नी मौर्य का चूल्हे-चौके से इंटरनेशनल ग्लैम आइकॉन तक का सफर!

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श्रीमती चुन्नी मौर्य आज समाज सेवा और महिला सशक्तिकरण की एक मिसाल बन चुकी हैं। उनका सफर साधारण नहीं था, बल्कि संघर्ष, संकल्प और सफलता की अनोखी कहानी है। छत्तीसगढ़ के दुर्ग में जन्मी चुन्नी मौर्य बचपन से ही कुकिंग, सिंगिंग और सिलाई-कढ़ाई में रुचि रखती थीं। इसके साथ ही, समाज सेवा के प्रति उनका गहरा लगाव था।

संयुक्त परिवार से समाज सेवा तक का संघर्ष

साल 1992 में शादी के बाद उन्होंने संयुक्त परिवार की जिम्मेदारियों और पर्दा प्रथा के चलते कई चुनौतियों का सामना किया। घर-गृहस्थी और बच्चों की देखभाल के साथ-साथ समाज सेवा का संतुलन बनाना आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।

उनका संकल्प तब और मजबूत हुआ जब वे लायंस क्लब की सचिव, मौर्य समाज की उपाध्यक्ष और विश्व हिंदू परिषद मातृशक्ति जिला संयोजिका बनीं। उन्होंने अपने सामाजिक कार्यों के माध्यम से हजारों महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया।

महिला सशक्तिकरण की दिशा में प्रयास

चुन्नी मौर्य ने ‘श्रुति निःशुल्क सिलाई प्रशिक्षण’ के तहत 2000 से अधिक महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ा। वे नशा मुक्ति अभियान, आत्मरक्षा प्रशिक्षण, ‘गुड टच बैड टच’ शिक्षा, निर्धन कन्या विवाह सहयोग, माहवारी जागरूकता कार्यक्रम, राखी और गुलाल निर्माण, दिवाली में बाती प्रशिक्षण जैसे समाजसेवी कार्यों में भी सक्रिय रहीं।

फैशन की दुनिया में छाप छोड़ने का सपना

समाज सेवा के साथ-साथ उनके भीतर हमेशा कुछ नया करने की चाह थी। उन्होंने फैशन इंडस्ट्री में कदम रखा और कई फैशन शो में विजेता बनीं। उनके आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत ने उन्हें इंटरनेशनल ग्लैम आइकॉन 2023 का खिताब दिलाया।

दुबई, मलेशिया, बैंकॉक, थाईलैंड, पश्चिम बंगाल और मालदीव जैसे कई देशों के 50 प्रतिभागियों के बीच उन्होंने अपनी खास जगह बनाई और विजेता बनकर लौटीं।

संघर्ष से सफलता तक का संदेश

आज भी चुन्नी मौर्य समाज सेवा में पूरी तरह समर्पित हैं। वे महिलाओं को सशक्त बनाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। उनका सफर यह दर्शाता है कि अगर इरादे मजबूत हों, तो कोई भी बाधा सफलता की राह में नहीं आ सकती


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