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बिलासपुर। इस दुनिया में हम कहीं भी हो चाहे ऑफिस, चाहे घर। हर जगह अलग-अलग चैलेंज, अलग-अलग सिचुएशंस होती है तो जीवन के लिए शुक्रिया करना है। परिवार के लिए शुक्रिया कर सकते हैं। लेकिन परिवार के लिए शुक्रिया तब कर सकेंगे जब हम उनकी विशेषताएं देखेंगे। क्योंकि जब लोगों की कमियां देखते हैं, खासकर जिन लोगों के साथ हम रहते हैं। ज्यादा समय हो जाता है, उनकी कमियां ज्यादा दिखाई देती हैं। जब लोगों की विशेषताएं देखेंगे तो ऑटोमेटिक हमारे अंदर से शुक्रिया निकलेगा।
उक्त वक्तव्य प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय बिलासपुर के मुख्य शाखा टेलीफोन एक्सचेंज रोड स्थित राजयोग भवन में आयोजित तीन दिवसीय “उपहार खुशियों का” के दूसरे दिन ब्रह्माकुमारीज के मुख्यालय माउंट आबू से पधारे बीके कमल भाई जी ने कहा।
मुझे जो मिला है उसके लिए मुझे कितना ग्रेटफुल होना चाहिए है। हर दिन सुबह उठकर शुक्रिया, दिन की शुरुआत हमें शुक्रिया से और चेहरे पर मुस्कुराहट के साथ करनी चाहिए। नहीं तो मन यह चाहिए, चाहिए मांग करता रहता या मन या पास्ट या फ्यूचर इधर जाता रहता है। रिसर्च कहती है लगभग 85 प्रतिशत हमारा मन पास्ट और फ्यूचर में ही रहता है। तो हमें सीखना है कि मन को प्रेजेंट में लाना है। जब बहुत सारे नेगेटिव थॉट्स या वेस्ट थॉट्स चल रहे होते हैं उसको हम जितना रोकने की कोशिश करते हैं और ज्यादा इंक्रीज होता है। जितना ज्यादा फोर्सफुली रोकने की कोशिश करेंगे उतना वो और ज्यादा फोर्स से बाहर आएगा। तो यह विधि तो सही नहीं है कि उसको फोर्सफुली हम स्टॉप करें। जैसे एक कमरा में पूरा अंधेरा है तो अंधेरे को दूर करने के लिए लाइट जगानी चाहिए। लड़ाई करके उसको भगाने की कोशिश करें यह नहीं हो सकता, जितना कोशिश करेंगे उतना ही हमारी एनर्जी ड्रेन हो जाएगी। अंधेरे को दूर करने की विधि केवल एक है वह है प्रकाश, लाइट। और कोई विधि नहीं है। ऐसे ही नेगेटिव थॉट्स, वेस्ट थॉट्स इसको खत्म करने की विधि है प्रकाश अर्थात पावरफुल संकल्प। मन के अंधकार को दूर करने का प्रकाश है पॉजिटिव थॉट।
बीके कमल भाई ने रिश्तो को मधुर बनाने के लिए चार बातें बताया पहला खुश रहना और खुशी बांटना मान लीजिए 10 लोगों ने किसी को दान दिया पर सबका भाग्य अलग-अलग है कर्म एक जैसा किया पर उसके पीछे की सोच फल में अंतर पड़ जाता है। आपने अपना काम कर लिया अब मेरे साथ सब कुछ अच्छा होगा परमात्मा मेरे साथ है। खुशी के वाइब्रेशन देना है। अर्थात अपने मन में सकारात्मक सोच रखनी है। खुशी के यह वाइब्रेशन हमारी खुशी को बढ़ाता है। दूसरा स्वीकार करना एक दूसरे को स्वीकार करना है। हर एक की अपनी अपनी यात्रा है। हर एक का अपना अपना संस्कार है। हर एक का अपना अपना रोल है। जिस घर में आप हैं उसे घर से कार्मिक अकाउंट है सबके साथ रहते स्वीकार करना है। तीसरा क्लियर कम्युनिकेशन (स्पष्ट संचार) बातों को पकड़ कर रखने से उसका सीधा प्रभाव डाइजेशन सिस्टम पर पड़ता है। राई का पहाड़ नहीं बनाना है। और चौथा अप्रिशिएसन सभी को प्रोत्साहित करना घर में परिवार में साथी जो भी है अगर किसी ने कुछ भी अच्छा कार्य किया हो तो उसके लिए हम उन्हें प्रोत्साहित करे। तो सामने वाले को खुशी मिलती है।
ईश्वरीय सेवा में,
बीके स्वाति
राजयोग भवन, बिलासपुर
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