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गायत्री परिवार का अभियान: समस्याओं का समाधान आध्यात्मिकता में है

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भौतिक सुख-सुविधाओं की उपलब्धता के बावजूद आज समाज में बढ़ती हुई अशांति और नैतिक पतन ने सभी को चिंता में डाल रखा है। शिक्षित वर्ग के बावजूद अपराधों में बढ़ोतरी और मानसिक तनाव के कारण व्यक्ति अधिक दुखी महसूस कर रहा है। इस कठिन समय में, गायत्री परिवार ने समाज के नैतिक उत्थान के लिए एक अनूठा कदम उठाया है।

आध्यात्मिक चिंतन की आवश्यकता

गायत्री परिवार के सदस्यों ने बताया कि इस समय में जहां समाज और राष्ट्र में नैतिक संकट गहरा गया है, वहीं आध्यात्मिक चिंतन की आवश्यकता बढ़ गई है। श्री द्वारिका प्रसाद पटेल ने कहा कि हमें परमपिता के सर्वोच्च सत्ता के अनुशासन को अपने जीवन में उतारना चाहिए। उनका मानना है कि इस बढ़ते अनास्था संकट को दूर करने के लिए यज्ञ और गायत्री के माध्यम से जीवन को सशक्त बनाना होगा।

गायत्री परिवार द्वारा यज्ञ और संस्कारों का आयोजन

इस दिशा में गायत्री परिवार द्वारा बिलासपुर और आसपास के क्षेत्रों में पांच कुंडीय यज्ञ का आयोजन किया गया। शांतिकुंज, हरिद्वार के निर्देशन में आयोजित यह यज्ञ न केवल नशा निवारण के लिए था, बल्कि इसमें संस्कारों से जोड़ते हुए समाज को आध्यात्मिक दिशा देने का भी प्रयास किया गया।

स्थानीय कार्यक्रमों में महिला मंडल की भागीदारी

इस कार्यक्रम के दौरान सामुदायिक भवन, सिंचाई कॉलोनी, बी.डी.ए. होम्स सकरी में पांच कुंडीय यज्ञ आयोजित किए गए। गायत्री शक्तिपीठ बिलासपुर और गायत्री प्रज्ञापीठ सकरी के महिला मंडल ने इस आयोजन को सफल बनाया। यज्ञ कार्यक्रम के दौरान नामकरण, अन्नप्राशन, दीक्षा, और विद्यारंभ संस्कार भी संपन्न कराए गए।

समाज में बदलाव लाने की कोशिश

गायत्री परिवार ने यज्ञ और संस्कारों के माध्यम से यह समझाया कि नशे और बुराइयों से दूर रहते हुए हम सभी को समाज में बदलाव लाना होगा। गायत्री परिवार का मानना है कि समस्याएं अनेक हैं, लेकिन समाधान एक है – “वेद की बोलें ऋचाएं, सत्य को धारण करें। हर्ष में हो मग्न सारे, शोक सागर से तरें।”

श्रीराम कथा और यज्ञ आयोजन

इसके अलावा, गायत्री प्रज्ञापीठ गनियारी में श्रीराम कथा के साथ यज्ञ का आयोजन भी किया गया, जिससे अधिक से अधिक लोग इस आध्यात्मिक यात्रा से जुड़ सकें।

समाज में सकारात्मक बदलाव का संदेश

इस कार्यक्रम के माध्यम से गायत्री परिवार ने समाज को यह संदेश दिया कि नैतिक पतन और अनास्था संकट से उबरने के लिए हमें सत्य, धर्म और संस्कारों की दिशा में कदम बढ़ाने होंगे। केवल आध्यात्मिक चिंतन और यज्ञ से हम अपने जीवन को सशक्त बना सकते हैं और एक बेहतर समाज की स्थापना कर सकते हैं।


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