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बिलासपुर। बिलासा बाई केंवट एयरपोर्ट को 4C श्रेणी में अपग्रेड करने और नाइट लैंडिंग की सुविधा शुरू करने को लेकर राज्य सरकार की निष्क्रियता पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बुधवार को सख्त रुख अपनाया। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति अरविंद वर्मा की खंडपीठ ने कहा, “अगर एयरपोर्ट को 4C श्रेणी में अपग्रेड नहीं करना है तो स्पष्ट कह दीजिए। यह राज्य सरकार का नीतिगत निर्णय है, लेकिन ध्यान रहे कि जनता यह सब देख रही है।”
राज्य सरकार द्वारा दाखिल किए गए शपथ पत्रों से असंतुष्ट कोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा, “हमारा समय बर्बाद करना बंद कीजिए। एयरपोर्ट बनाना है या नहीं, यह तय करना आपका काम है, लेकिन भ्रम फैलाना बंद होना चाहिए।”
डीपीआर और जमीन हस्तांतरण पर भी सवाल
याचिकाकर्ता अधिवक्ताओं आशीष श्रीवास्तव और सुदीप श्रीवास्तव ने बताया कि 4C श्रेणी के एयरपोर्ट की डीपीआर का निर्णय पहले ही लिया जा चुका है, और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा प्री-फिजिबिलिटी स्टडी भी दो साल पहले पूरी की जा चुकी है। वहीं, जमीन हस्तांतरण के मसले पर बताया गया कि रक्षा मंत्रालय को 93 करोड़ रुपए 2023 में ही आवंटित कर दिए गए थे, परंतु प्रति एकड़ दर में वृद्धि की मांग के चलते भुगतान अटका हुआ है। अब रक्षा मंत्रालय ने 287 एकड़ भूमि के लिए 70 करोड़ रुपए की नई मांग की है, जो दो साल से लंबित है।
“ऐसे रवैये से कोर्ट की सुनवाई का कोई औचित्य नहीं” — कोर्ट
खंडपीठ ने नाराज़गी जताते हुए कहा कि 2021 से अब तक राज्य सरकार समय-समय पर एयरपोर्ट अपग्रेड को लेकर वादे करती रही है, लेकिन ज़मीनी काम नगण्य है। “इससे यह प्रतीत होता है कि सरकार की मंशा स्पष्ट नहीं है और वह जनता को केवल भ्रमित कर रही है। यदि यही रवैया रहा तो अदालत इस मामले की आगे सुनवाई करने के पक्ष में नहीं है।”
“बंद कर दीजिए बिलासपुर एयरपोर्ट, लोगों से कहिए रायपुर जाएं”
राज्य की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता शशांक ठाकुर और यशवंत ठाकुर ने कोर्ट को भरोसा दिलाने की कोशिश की कि सरकार एयरपोर्ट को 4C श्रेणी में बदलने के निर्णय पर कायम है, लेकिन इसकी कोई निश्चित समयसीमा नहीं दी जा सकती। इस पर कोर्ट ने नाराज़ होकर कहा, “क्या ये समयसीमा 10 या 20 साल की होगी? हर कार्य के लिए एक सीमित और तार्किक समय तय होता है। यदि सरकार नहीं चाहती कि बिलासपुर से हवाई सेवा चले, तो साफ तौर पर कहे और लोगों से कहे कि वे रायपुर से यात्रा करें।”
जुलाई तक का समय मांगा गया

राज्य सरकार की स्थिति को देखते हुए महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत ने कोर्ट से जुलाई तक का समय मांगा। उन्होंने बताया कि प्री-फिजिबिलिटी रिपोर्ट दो महीने में मिल जाएगी और उसके बाद सरकार इस पर ठोस जवाब दे सकेगी। वहीं केंद्र सरकार की ओर से डिप्टी सॉलिसिटर जनरल रमाकांत मिश्रा ने कहा कि यदि राज्य सरकार 80 करोड़ रुपए की राशि जमा कर देती है तो रक्षा मंत्रालय जमीन को औपचारिक रूप से हस्तांतरित कर देगा। याचिकाकर्ताओं ने बताया कि जमीन पर कार्य की अनुमति पहले ही मिल चुकी है, लेकिन भुगतान न होने के कारण हैंडओवर रुका हुआ है।
कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई जुलाई में निर्धारित की है।
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