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राज्य शासन को 8 सप्ताह में जवाब देने के निर्देश

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राज्य की प्रमोशन नीति पर हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी: कर्मचारी जिस पद पर ज्वाइन करे, उसी पर रिटायर हो यह अनुचित

हाईकोर्ट ने डाटा एंट्री ऑपरेटरों की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य शासन की पदोन्नति नीति पर सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा, “यह कहां का नियम है कि कर्मचारी जिस पद पर ज्वाइनिंग करे, उसी पद पर रिटायर हो जाए। काम का कुछ तो इनाम मिलना चाहिए।” कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई आठ सप्ताह बाद निर्धारित की है और राज्य शासन को जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।

पदोन्नति के अभाव में याचिका दायर

डाटा एंट्री ऑपरेटरों ने पदोन्नति की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उनका कहना है कि राज्य के कुछ विभागों में पदोन्नति चैनल निर्धारित हैं, जबकि अन्य विभागों में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। इससे कर्मचारी बिना किसी पदोन्नति के कार्य करते रहते हैं।

याचिका के दौरान, राज्य शासन की ओर से शासकीय अधिवक्ता ने इसे खारिज करने की मांग की, लेकिन कोर्ट ने उनके तर्कों को अस्वीकार करते हुए शासन को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा।

15 विभागों के कर्मचारी शामिल

इस याचिका में वन विभाग, वाणिज्य एवं उद्योग विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, उच्च शिक्षा विभाग, खाद्य विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग सहित 15 विभागों के कर्मचारी शामिल हैं।

पदोन्नति न मिलने और समयमान वेतनमान प्रदान न किए जाने से नाराज कर्मचारियों ने लंबे समय से शासन, प्रशासन और विभाग प्रमुखों से पत्राचार किया, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इससे मजबूर होकर कर्मचारियों ने हाईकोर्ट का रुख किया।

जिन विभागों में पदोन्नति प्रावधान है

कुछ विभागों जैसे-

  • तकनीकी शिक्षा विभाग
  • स्कूल शिक्षा विभाग
  • राज्यपाल सचिवालय
  • परिवहन विभाग
  • लोक निर्माण विभाग
  • विधानसभा सचिवालय
  • इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय
    में डाटा एंट्री ऑपरेटरों को पदोन्नति का प्रावधान किया गया है।

हाईकोर्ट की टिप्पणी और निर्देश

हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य शासन की पदोन्नति नीति पर सवाल उठाए हैं और कर्मचारियों को पदोन्नति से वंचित रखना अनुचित बताया। कोर्ट ने कहा कि यह सुनिश्चित करना राज्य शासन की जिम्मेदारी है कि सभी विभागों में समान पदोन्नति नीति लागू हो।

अब राज्य शासन को 8 सप्ताह में जवाब प्रस्तुत करना होगा, जिसके बाद मामले की अगली सुनवाई होगी।


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