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कोटा तहसील में 60 डिसमिल जंगल की जमीन को औद्योगिक प्रयोजन के लिए डायवर्सन करने का मामला सामने आया है। यह भूमि पूर्व सैनिक किशन लाल को खेती के लिए शासन ने पट्टे पर दी थी, लेकिन इस जमीन का उपयोग उद्योग के लिए करने का आवेदन शनिवार, 5 अक्टूबर 2024 को ही प्रस्तुत किया गया। खास बात यह है कि छुट्टी के दिन किए गए इस आवेदन पर संबंधित अधिकारियों ने तुरंत कार्यवाही की और पटवारी ने प्रतिवेदन भी एसडीएम कार्यालय में जमा कर दिया।
अवैध डायवर्सन आवेदन की गड़बड़ियाँ
आवेदन में कई महत्वपूर्ण अनियमितताएँ सामने आई हैं। दस्तावेजों में खसरा नंबर 61/10 की गलत जानकारी दी गई, साथ ही अन्य खसरा नंबर से संबंधित रकबे की भी ग़लत जानकारी दी गई। इसके अलावा, आवेदन के साथ शपथ पत्र, किसान किताब की प्रति, बी-1 की नकल, नक्शा और भूमि उपयोगिता प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेज़ भी संलग्न किए गए, जो बाद में ऑनलाइन प्रिंट हुए थे।
रकबे की गलत जानकारी
टाउन एंड कंट्री प्लानिंग द्वारा प्रदान की गई जानकारी भी गलत साबित हुई है। मूल खसरा नंबर 61 का रकबा 60 डिसमिल बताया गया था, लेकिन मिसल रिकॉर्ड में यह 34.35 एकड़ दर्ज है। यही नहीं, 6 नवंबर 2024 को जारी अभिमत पत्र भी पहले से ही 5 अक्टूबर को आवेदक के पास पहुंच गया था।
निस्तार पत्रक और भूमि का इतिहास
निस्तार पत्रक में 61/1 के खसरे में 34.35 एकड़ भूमि बड़े झाड़ के जंगल के रूप में दर्ज है, जिसमें 1986 में पूर्व सैनिक किशन लाल को 2.023 हेक्टेयर भूमि पट्टे पर दी गई थी। हाल ही में इस भूमि का खसरा नंबर भी बदला गया, जिससे दस्तावेज़ में और भी गड़बड़ियाँ दिखाई देती हैं।
वर्सन
कलेक्टर अवनीश शरण ने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए कहा, “जांच कराई जा रही है। प्रारंभिक तौर पर दस्तावेजों में गड़बड़ी नजर आ रही है, और मामले को टीएल में रखा गया है। कोटा एसडीएम से रिपोर्ट मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।”
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