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करैहापारा स्थित गुप्ता परिवार द्वारा स्व. रामझूला गुप्ता की स्मृति में आयोजित सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा में पाँचवें दिन की कथा में कथावाचक पंडित अनुराग दुबे ने अपने प्रवचनों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने गहन दर्शन और सरल उदाहरणों के माध्यम से समझाया कि “यह सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड एक ही संकल्प का विस्तार है।”
पं. दुबे ने बताया कि हर जीव आदरणीय और श्रेष्ठ है। उन्होंने कहा:
“जो विचार, व्यवहार और आचरण हमें स्वयं के लिए प्रतिकूल लगते हैं, उन्हें दूसरों के साथ नहीं करना चाहिए। सभी जीवों के प्रति प्रेम, करुणा और सह-अस्तित्व का भाव ही सच्चा धर्म है। पशु-पक्षियों के प्रति संवेदनशीलता और उनकी रक्षा करना मानव का कर्तव्य है।”
प्राकृतिक संतुलन और जीव संरक्षण पर जोर
पंडित जी ने कहा कि प्रकृति के प्रति प्रेम और जीवों के प्रति आदर हमारी संस्कृति की नींव है। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण के उदाहरणों से समझाया कि किस प्रकार गोकुल में संकट के समय श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत के नीचे सभी जीवों को आश्रय दिया। उन्होंने कहा:
“जो लोग निस्वार्थ भाव से जीवों की सेवा करते हैं, उनके जीवन में ईश्वर की कृपा बनी रहती है।”
आज की समस्याओं का समाधान प्रेम में है
दुबे जी ने वर्तमान समय में हिंसा और अराजकता का कारण क्रूरता को बताया। उन्होंने कहा:
“प्रेम में इतनी शक्ति है कि यह क्रूरता को करुणा में बदल सकता है। प्रेम के अभाव ने ही आज विश्व को बारूद के ढेर पर बिठा दिया है।”
उन्होंने प्राचीनकाल में देवी-देवताओं और पशु-पक्षियों के संबंध को जीव संरक्षण का प्रतीक बताया।
श्रोताओं से किया विशेष आह्वान
“आइए! हम सब मिलकर विश्व के समस्त प्राणियों के प्रति प्रेम, दया और करुणा की भावना जाग्रत करें। पशु-पक्षी हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। उनकी सेवा और संरक्षण में ही हमारी संस्कृति का असली सार छिपा है।”
इस भावपूर्ण कथा के बाद श्रोताओं ने पंडित जी के विचारों से प्रेरणा लेते हुए जीव-जंतुओं की रक्षा और प्रकृति से जुड़े रहने का संकल्प लिया।
ऐसी अद्भुत कथा में शामिल होकर आप भी अपने जीवन को नई दिशा दें।
📍 स्थान: रतनपुर, करैहापारा
🗓️ समाप्ति दिवस: कथा का समापन इस रविवार को होगा।
आइए, इस आध्यात्मिक आयोजन का हिस्सा बनें और अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाएँ।
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