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बिलासपुर। बिलासपुर एयरपोर्ट को 4C श्रेणी में अपग्रेड करने के मुद्दे पर राज्य सरकार का रुख अब बदलता हुआ नजर आ रहा है। मंगलवार को छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव अमिताभ जैन ने हाईकोर्ट में एक नया शपथपत्र दाखिल किया, जिसमें कहा गया है कि 4C एयरपोर्ट की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) बनाने से पहले यह स्टडी कराई जाएगी कि बिलासपुर में वास्तव में 4C एयरपोर्ट की ज़रूरत है या नहीं।
यह शपथपत्र राज्य सरकार की उस पिछली अंडरटेकिंग से बिल्कुल उलट है जिसमें लगभग 6 महीने पहले हाईकोर्ट को भरोसा दिलाया गया था कि बिलासपुर एयरपोर्ट के 4C अपग्रेडेशन के लिए डीपीआर तैयार की जाएगी। अब न केवल उस वादे से पीछे हटने के संकेत मिल रहे हैं, बल्कि नए हलफनामे में 4C शब्द का स्पष्ट उल्लेख भी नहीं किया गया है।
याचिकाकर्ताओं ने जताई नाराजगी, कोर्ट में तीन बार दिया गया था वादा
इस मुद्दे पर याचिकाकर्ताओं ने अदालत में नाराजगी जताते हुए कहा है कि बीते 4 वर्षों में राज्य सरकार की ओर से हाईकोर्ट में कम से कम तीन बार यह आश्वासन दिया गया था कि बिलासपुर एयरपोर्ट को 4C श्रेणी का बनाया जाएगा। अब स्टडी की बात कहकर उस प्रतिबद्धता से पीछे हटना न्यायालय और जनता दोनों के साथ विश्वासघात है।
नाइट लैंडिंग और ज़मीन वापसी पर भी अस्पष्ट जवाब
मुख्य सचिव के शपथपत्र में एयरपोर्ट पर नाइट लैंडिंग सुविधा से जुड़ी जानकारी भी दी गई है। इसमें कहा गया है कि नाइट लैंडिंग से जुड़ा कार्य सितंबर 2025 तक पूरा कर लिया जाएगा। वहीं सेना द्वारा अधिग्रहित ज़मीन की वापसी को लेकर सरकार ने कोई स्पष्ट समयसीमा नहीं दी है। राज्य सरकार ने केवल यह कहा है कि रक्षा मंत्रालय द्वारा की गई धन की मांग का कानूनी परीक्षण किया जाएगा, और उसके बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा।

राजनीतिक सवालों के घेरे में सरकार
वर्तमान शपथपत्र न केवल राज्य सरकार के पिछले आश्वासनों के विपरीत है, बल्कि इससे शासन की नीयत पर भी सवाल उठने लगे हैं। पहले भूपेश बघेल सरकार और अब विष्णुदेव साय सरकार, दोनों ही इस एयरपोर्ट प्रोजेक्ट को लेकर कोर्ट में अपने स्टैंड बदलती रही हैं।
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