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Waqf Amendment Bill: राज्यसभा में गुरुवार को वक्फ संशोधन विधेयक पर मतदान होना है, लेकिन इससे पहले बीजू जनता दल (BJD) ने विपक्ष को बड़ा झटका दिया है। बीजेडी ने घोषणा की है कि पार्टी इस मुद्दे पर कोई व्हिप जारी नहीं करेगी, जिससे उसके सांसद स्वतंत्र रूप से मतदान कर सकेंगे। यह निर्णय इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि पहले बीजेडी इस विधेयक का कड़ा विरोध कर रही थी।
बीजेडी ने बदला अपना रुख
ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल (BJD) ने अब तक वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध किया था और इसे अल्पसंख्यकों के अधिकारों के खिलाफ बताया था। लेकिन अब पार्टी ने अपने सांसदों को स्वतंत्र निर्णय लेने की अनुमति दे दी है। पार्टी ने यह भी स्पष्ट किया कि इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक निर्देश जारी नहीं किया जाएगा।
BJD का आधिकारिक बयान
बीजेडी के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर जारी बयान में कहा:
“BJD हमेशा धर्मनिरपेक्षता और समावेशिता के सिद्धांतों का पालन करता है, जिससे सभी समुदायों के अधिकारों की रक्षा हो सके। हम अल्पसंख्यक समुदायों की भावनाओं का सम्मान करते हैं और इसी को ध्यान में रखते हुए अपने सांसदों को स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने की अनुमति दे रहे हैं। इस मुद्दे पर कोई पार्टी व्हिप जारी नहीं किया जाएगा।”
एनडीए को होगा फायदा, विपक्ष की बढ़ेंगी मुश्किलें
राज्यसभा में बीजू जनता दल के 7 सांसद हैं। BJD के इस निर्णय से एनडीए (NDA) को लाभ होगा, जबकि विपक्ष के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
राज्यसभा में किसके पास कितनी संख्या?
राज्यसभा में कुल 245 सदस्य हैं। किसी भी विधेयक को पारित कराने के लिए 119 सांसदों के समर्थन की जरूरत होती है। वर्तमान में एनडीए के पास 125 सांसदों का समर्थन है, जिसमें:
- बीजेपी (98 सांसद)
- जेडीयू (4 सांसद)
- टीडीपी (2 सांसद)
- राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (3 सांसद)
- शिवसेना (1 सांसद)
- आरएलडी (1 सांसद)

इसके अलावा, एनडीए को असम गण परिषद, तमिल मनिला कांग्रेस और 6 मनोनीत सदस्यों का समर्थन मिलने की उम्मीद है, जिससे उसकी स्थिति और मजबूत हो जाती है।
निष्कर्ष
बीजू जनता दल के इस फैसले के बाद राज्यसभा में वक्फ संशोधन विधेयक को पारित कराना एनडीए के लिए आसान हो सकता है। दूसरी ओर, विपक्ष के लिए यह एक बड़ा झटका साबित हो सकता है। इस फैसले से यह भी स्पष्ट हो गया है कि BJD अब किसी भी एक पक्ष के साथ खुलकर खड़े होने के बजाय अपनी स्वतंत्र नीतियों पर जोर दे रही है।
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