Ad Image

Contact on vpsbharat24@gmail.com for your ad

शिक्षाकर्मी भी बन सकेंगे प्राचार्य: हाईकोर्ट ने शिक्षक भर्ती और प्रमोशन नियमों को सही ठहराया

👇 खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

Listen to this article

मामला: प्रमोशन विवाद में हाईकोर्ट का अहम फैसला

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने शिक्षक भर्ती और पदोन्नति नियमों को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करते हुए महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्रमोशन किसी कर्मचारी का संवैधानिक या कानूनी अधिकार नहीं है। इस फैसले से शिक्षाकर्मी भी प्राचार्य बनने के पात्र हो गए हैं।


पृष्ठभूमि

शिक्षक भर्ती और प्रमोशन नियम, 2019 की अनुसूची-II के तहत प्राचार्य पद पर पदोन्नति और भर्ती के प्रावधान तय किए गए थे।

  1. आरक्षण का विभाजन:
    • 65% पद ई-संवर्ग के लेक्चरर के लिए।
    • 30% पद ई (एलबी) और टी (एलबी) संवर्ग के लेक्चरर के लिए।
    • 10% पद सीधी भर्ती के लिए।
  2. याचिकाकर्ताओं की आपत्ति:
    • उनका तर्क था कि 30% आरक्षण एलबी संवर्ग के लिए होने से उनके प्रमोशन के अवसर खत्म हो गए।
    • वरिष्ठता और अनुभव के बावजूद उन्हें प्राचार्य बनने का मौका नहीं मिलेगा।
    • ज्यादातर शिक्षक रिटायरमेंट के करीब हैं, जिससे प्रमोशन का समय निकल जाएगा।

राज्य सरकार का पक्ष

  • राज्य के उप महाधिवक्ता शशांक ठाकुर ने तर्क दिया कि शिक्षकों का संविलियन एक नीतिगत निर्णय है।
  • सभी संवर्गों के हितों को ध्यान में रखते हुए पदोन्नति के अवसर प्रदान किए गए हैं।
  • पंचायत और स्थानीय निकायों के शिक्षकों को स्कूल शिक्षा विभाग में शामिल करने के बाद उचित प्रतिनिधित्व दिया गया है।

हाईकोर्ट का अवलोकन और निर्णय

  1. प्रमोशन का अधिकार: कोर्ट ने कहा कि पदोन्नति संवैधानिक या कानूनी अधिकार नहीं है।
  2. नियमों की वैधता: सरकार द्वारा बनाए गए नियम उचित और संतुलित हैं, और इनमें सभी वर्गों के हितों का ध्यान रखा गया है।
  3. असंवैधानिकता का दावा खारिज: संसद या विधानसभा द्वारा पारित कानून को असंवैधानिक नहीं माना जा सकता, जब तक स्पष्ट सबूत न हो।
  4. पूर्व के फैसले का संदर्भ: कोर्ट ने दो वर्ष पहले एलबी व्याख्याताओं की याचिका भी खारिज की थी, जिसमें उन्होंने अनुभव-आधारित नीति को चुनौती दी थी।

फैसले का प्रभाव

  • शिक्षाकर्मी भी बन सकेंगे प्राचार्य: इस फैसले के बाद शिक्षाकर्मी, जिन्हें एलबी संवर्ग में रखा गया था, अब प्राचार्य पद के लिए पात्र होंगे।
  • पदोन्नति के अवसर सुनिश्चित: सरकार ने प्रमोशन में संतुलन बनाए रखने के लिए सभी संवर्गों को उचित प्रतिनिधित्व दिया है।

निष्कर्ष

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में राज्य सरकार के नीतिगत निर्णय को सही ठहराया और कहा कि पदोन्नति के लिए नियम बनाने में सभी वर्गों का ध्यान रखा गया है। यह निर्णय लंबे समय से चल रहे विवाद को समाप्त करने में महत्वपूर्ण साबित होगा।


Discover more from VPS Bharat

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Related Posts

बिलासपुर हाईकोर्ट अपडेट: सिविल जज परीक्षा के मानदंडों में बदलाव

बिलासपुर हाईकोर्ट ने सिविल जज परीक्षा के लिए बड़ा फैसला सुनाया है। अब लॉ डिग्रीधारी उम्मीदवारों को बार काउंसिल में पंजीकरण की आवश्यकता नहीं होगी और वे सीधे सिविल जज परीक्षा में बैठ सकेंगे। इस फैसले से सरकारी नौकरी करने वाले लॉ डिग्रीधारी भी परीक्षा के योग्य होंगे। इसके अलावा, आवेदन की अंतिम तिथि को एक महीने के लिए बढ़ा दिया गया है, जिससे उम्मीदवारों को और अधिक समय मिल गया है। यह निर्णय उन उम्मीदवारों के लिए राहत का सबब है, जो पहले बार काउंसिल पंजीकरण की शर्त के कारण असमर्थ थे।

मरवाही वनमंडल में बाघिन की सुरक्षा पर संकट, प्रभावित क्षेत्र में स्कूलों की छुट्टी

मरवाही वनमंडल के गौरेला रेंज में एक बाघिन की सुरक्षा संकट में है। बाघिन की तस्वीरें और वीडियो लेने के लिए बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ जुट रही है, जिससे उसकी सुरक्षा पर खतरा बढ़ गया है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में छुट्टी घोषित की है। बाघिन और मानव संघर्ष रोकने के लिए वन विभाग की निष्क्रियता पर सवाल उठ रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *