Ad Image

Contact on vpsbharat24@gmail.com for your ad

पत्नी की बीमारी और मृत्यु के कारण अनुपस्थिति: हाईकोर्ट ने बर्खास्तगी को अनुचित ठहराया

👇 खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

Listen to this article

मामला: पुलिस कांस्टेबल की बर्खास्तगी निरस्त

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पुलिस विभाग द्वारा कांस्टेबल कुडियम भीमा की बर्खास्तगी को अनुचित मानते हुए निरस्त करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि भीमा की अनुपस्थिति जानबूझकर नहीं थी, बल्कि पत्नी की बीमारी और मृत्यु जैसी बाध्यकारी परिस्थितियों के कारण हुई थी।


पृष्ठभूमि

कुडियम भीमा, जो छत्तीसगढ़ पुलिस बल में कांस्टेबल के पद पर कार्यरत थे, 28 फरवरी से 16 अक्टूबर 2013 तक ड्यूटी से अनधिकृत रूप से अनुपस्थित रहे। इस अवधि के दौरान उनकी पत्नी गंभीर रूप से बीमार थीं और बाद में उनका निधन हो गया।

  • पुलिस विभाग की कार्रवाई: विभागीय जांच के बाद भीमा को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया।
  • याचिका: भीमा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अपनी अनुपस्थिति के पीछे पारिवारिक और भावनात्मक कारणों का हवाला दिया।

याचिकाकर्ता का पक्ष

  1. व्यक्तिगत कठिनाई: पत्नी की बीमारी और मृत्यु के कारण अनुपस्थिति अपरिहार्य थी।
  2. भावनात्मक आघात: इस कठिन समय में मानसिक रूप से अस्थिर होने के कारण वापसी में देरी हुई।
  3. अनुचित सजा: 23 वर्षों की सेवा के बावजूद बर्खास्तगी, परिस्थितियों को देखते हुए, अत्यधिक और अनुचित है।

कोर्ट का अवलोकन और निर्णय

  1. अनुपस्थिति का कारण: हाईकोर्ट ने कहा कि अनुपस्थिति जानबूझकर नहीं थी।
  2. अनुशासनात्मक जांच की कमी: जांच अधिकारी यह स्थापित करने में असफल रहे कि अनुपस्थिति कदाचार का परिणाम थी।
  3. सुप्रीम कोर्ट के आदेश का संदर्भ: सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी कहा है कि अनधिकृत अनुपस्थिति स्वतः ही जानबूझकर किया गया कदाचार नहीं है, खासकर जब व्यक्तिगत कठिनाइयों के कारण अनुपस्थिति हुई हो।
  4. सजा का अनुपात:
    • 23 साल की सेवा और अर्जित छुट्टी को ध्यान में रखते हुए बर्खास्तगी की सजा असंगत है।
    • अधिकारियों को व्यक्तिगत कठिनाइयों को ध्यान में रखना चाहिए था।

फैसले का परिणाम

हाईकोर्ट ने कुडियम भीमा की बर्खास्तगी को निरस्त कर दिया और पुलिस विभाग को निर्देश दिया कि उनकी सेवा बहाल की जाए।


निष्कर्ष

इस फैसले ने यह स्पष्ट किया कि व्यक्तिगत कठिनाइयों के कारण हुई अनुपस्थिति को जानबूझकर कदाचार नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने कहा कि सेवा रिकॉर्ड और परिस्थितियों को ध्यान में रखकर निर्णय लिया जाना चाहिए।


Discover more from VPS Bharat

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Related Posts

बिलासपुर हाईकोर्ट अपडेट: सिविल जज परीक्षा के मानदंडों में बदलाव

बिलासपुर हाईकोर्ट ने सिविल जज परीक्षा के लिए बड़ा फैसला सुनाया है। अब लॉ डिग्रीधारी उम्मीदवारों को बार काउंसिल में पंजीकरण की आवश्यकता नहीं होगी और वे सीधे सिविल जज परीक्षा में बैठ सकेंगे। इस फैसले से सरकारी नौकरी करने वाले लॉ डिग्रीधारी भी परीक्षा के योग्य होंगे। इसके अलावा, आवेदन की अंतिम तिथि को एक महीने के लिए बढ़ा दिया गया है, जिससे उम्मीदवारों को और अधिक समय मिल गया है। यह निर्णय उन उम्मीदवारों के लिए राहत का सबब है, जो पहले बार काउंसिल पंजीकरण की शर्त के कारण असमर्थ थे।

मरवाही वनमंडल में बाघिन की सुरक्षा पर संकट, प्रभावित क्षेत्र में स्कूलों की छुट्टी

मरवाही वनमंडल के गौरेला रेंज में एक बाघिन की सुरक्षा संकट में है। बाघिन की तस्वीरें और वीडियो लेने के लिए बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ जुट रही है, जिससे उसकी सुरक्षा पर खतरा बढ़ गया है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में छुट्टी घोषित की है। बाघिन और मानव संघर्ष रोकने के लिए वन विभाग की निष्क्रियता पर सवाल उठ रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *