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बलौदाबाजार हिंसा मामले में जेल में बंद भिलाई विधायक देवेंद्र यादव की जमानत याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। जस्टिस एनके व्यास की सिंगल बेंच ने शुक्रवार को यह फैसला सुनाया। इस निर्णय के बाद अब विधायक को राहत नहीं मिल पाई है।
पुलिस का दावा – देवेंद्र के खिलाफ पर्याप्त सबूत, गवाह और वीडियो
विधायक देवेंद्र यादव के वकील ने कोर्ट में अपनी दलील दी थी कि उनके क्लाइंट का इस घटना से कोई संबंध नहीं है। वकील ने यह भी दावा किया कि राजनीतिक दबाव के चलते पुलिस ने उन्हें आरोपी बनाया है और वे घटना के समय मौके पर मौजूद नहीं थे। साथ ही, उनके खिलाफ पुलिस के पास कोई ठोस सबूत नहीं हैं।
इसके बावजूद, पुलिस ने विधायक के खिलाफ सबूत, गवाह और वीडियो के आधार पर आरोप लगाए हैं। पुलिस का कहना है कि इन सबूतों के आधार पर विधायक को हिंसा भड़काने का आरोपी बनाया गया है।
आगजनी, तोड़फोड़ और हिंसा के मामले में आरोपी
बलौदाबाजार हिंसा मामले में विधायक देवेंद्र यादव को आगजनी, तोड़फोड़ और हिंसक प्रदर्शन के आरोप में आरोपी बनाया गया है। पुलिस ने मामले में 4 बार नोटिस जारी किया, लेकिन विधायक ने बयान देने से मना कर दिया था। इसके बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
449 पेज का आरोपपत्र
मामले की जांच में पुलिस ने देवेंद्र यादव और ओमप्रकाश बंजारे के खिलाफ सीजेएम कोर्ट में 449 पेज का आरोपपत्र पेश किया है।
4 माह से जेल में, अब अस्पताल में भर्ती
विधायक देवेंद्र यादव को पुलिस ने 17 अगस्त को भिलाई से गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद से उनकी न्यायिक रिमांड लगातार बढ़ी। वे रायपुर की सेंट्रल जेल में बंद थे, लेकिन हाल ही में उनकी तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां उनका ऑपरेशन किया गया है।
इस बीच, विधायक ने जमानत के लिए कई बार अर्जी दी, लेकिन उन्हें जमानत नहीं मिल पाई।
पुलिस का दावा – पर्याप्त सबूत और गवाह
पुलिस का कहना है कि देवेंद्र यादव के खिलाफ पर्याप्त सबूत और गवाह मौजूद हैं, जो उनके खिलाफ हिंसा भड़काने का आरोप साबित करते हैं। इसके अलावा पुलिस के पास कुछ वीडियो भी हैं, जो इस मामले की सच्चाई को उजागर करने में मददगार हैं।
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