Ad Image

Contact on vpsbharat24@gmail.com for your ad

राजीनामा मामलों का आपसी सहमति से समाधान जरूरी: चीफ जस्टिस

👇 खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

Listen to this article

लोक अदालत की तैयारियों पर हाईस्तरीय बैठक संपन्न


इस वर्ष की चतुर्थ एवं अंतिम नेशनल लोक अदालत का आयोजन 14 दिसंबर 2024 को होगा। इसकी तैयारियों को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक आयोजित की। बैठक में प्रदेश के सभी प्रधान जिला न्यायाधीश, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष और सचिव, फैमिली कोर्ट और श्रम न्यायालय के न्यायाधीश शामिल हुए।

चीफ जस्टिस ने न्यायालयों में बढ़ते मामलों की संख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए जोर दिया कि राजीनामा योग्य मामलों को आपसी सहमति से विधि सम्मत तरीके से हल करने के प्रयास तेज किए जाएं। उन्होंने कहा कि लोक अदालतों के माध्यम से न केवल पक्षकारों को त्वरित न्याय मिलता है, बल्कि न्यायालयों में लंबित मामलों की संख्या भी कम होती है। इससे न्यायालयीन कार्य दिवसों का बेहतर उपयोग होता है।


सिविल, आपराधिक और वित्तीय मामलों पर विशेष ध्यान

लोक अदालत में राजीनामा प्रकृति के सिविल, आपराधिक और वित्तीय प्रकरणों को चिन्हांकित करने और विधिवत निराकरण के निर्देश दिए गए। चीफ जस्टिस ने कहा कि बैंकों, वित्तीय संस्थाओं, विद्युत वितरण कंपनियों, बीमा कंपनियों और बीएसएनएल जैसी संस्थाओं द्वारा प्रस्तुत मामलों में प्री-सिटिंग कर अधिक से अधिक प्री-लिटिगेशन मामलों का समाधान किया जाए।

उन्होंने कहा कि प्री-लिटिगेशन स्तर पर ही सामान्य मामलों का निराकरण होने से न केवल पक्षकारों को न्याय मिलता है, बल्कि अदालतों में इनकी संख्या बढ़ने से भी रोका जा सकता है। इससे न्यायालयीन प्रणाली अधिक कुशल और प्रभावी बनती है।


हाईकोर्ट से लेकर तहसील स्तर तक आयोजन

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) के निर्देशानुसार, 14 दिसंबर 2024 को नेशनल लोक अदालत का आयोजन हाईकोर्ट, जिला एवं तहसील न्यायालयों के साथ-साथ राजस्व न्यायालयों में भी किया जाएगा। यह लोक अदालत 2024 का अंतिम आयोजन है, जिसमें न्यायालय प्रणाली को अधिक समावेशी और प्रभावी बनाने की योजना है।


न्यायालयीन प्रक्रिया में सुधार की पहल

चीफ जस्टिस ने कहा कि लोक अदालतें त्वरित न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। इसमें निराकृत प्रकरण न केवल पक्षकारों को राहत देते हैं, बल्कि न्यायालयों को अन्य जटिल मामलों पर ध्यान केंद्रित करने का अवसर भी प्रदान करते हैं।

न्यायपालिका के इस प्रयास से उम्मीद है कि राजीनामा योग्य मामलों में सकारात्मक प्रगति होगी और न्यायालयीन प्रणाली का भार कम होगा।


Discover more from VPS Bharat

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Related Posts

बिलासपुर हाईकोर्ट अपडेट: सिविल जज परीक्षा के मानदंडों में बदलाव

बिलासपुर हाईकोर्ट ने सिविल जज परीक्षा के लिए बड़ा फैसला सुनाया है। अब लॉ डिग्रीधारी उम्मीदवारों को बार काउंसिल में पंजीकरण की आवश्यकता नहीं होगी और वे सीधे सिविल जज परीक्षा में बैठ सकेंगे। इस फैसले से सरकारी नौकरी करने वाले लॉ डिग्रीधारी भी परीक्षा के योग्य होंगे। इसके अलावा, आवेदन की अंतिम तिथि को एक महीने के लिए बढ़ा दिया गया है, जिससे उम्मीदवारों को और अधिक समय मिल गया है। यह निर्णय उन उम्मीदवारों के लिए राहत का सबब है, जो पहले बार काउंसिल पंजीकरण की शर्त के कारण असमर्थ थे।

मरवाही वनमंडल में बाघिन की सुरक्षा पर संकट, प्रभावित क्षेत्र में स्कूलों की छुट्टी

मरवाही वनमंडल के गौरेला रेंज में एक बाघिन की सुरक्षा संकट में है। बाघिन की तस्वीरें और वीडियो लेने के लिए बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ जुट रही है, जिससे उसकी सुरक्षा पर खतरा बढ़ गया है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में छुट्टी घोषित की है। बाघिन और मानव संघर्ष रोकने के लिए वन विभाग की निष्क्रियता पर सवाल उठ रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *