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आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को मेन्यू के अनुसार फल और दूध न दिए जाने के मामले में हाईकोर्ट ने राज्य शासन से विस्तृत जवाब प्रस्तुत करने को कहा है। इस मामले की अगली सुनवाई 30 जनवरी को निर्धारित की गई है।
हाईकोर्ट ने स्व संज्ञान लेते हुए इस विषय पर सुनवाई शुरू की है। दुर्ग जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को फल और दूध न मिलने की खबर मीडिया में प्रकाशित होने के बाद, कोर्ट ने इसे जनहित याचिका के रूप में पंजीकृत किया।
कोर्ट कमिश्नर की रिपोर्ट
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच ने इस मामले में कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किए। इन कमिश्नरों ने केंद्रों का निरीक्षण कर वस्तुस्थिति की जानकारी ली और अपनी रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत की।
रिपोर्ट में अधिकारियों ने दावा किया कि बच्चों को फल और दूध के स्थान पर पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। हालांकि, हाईकोर्ट ने इस तर्क को पर्याप्त नहीं माना और शासन से शपथपत्र पर विस्तृत जवाब मांगा।
शासन को फिर मिला समय
गुरुवार को हुई सुनवाई में चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने पाया कि राज्य शासन का विस्तृत जवाब अभी प्रस्तुत नहीं किया गया है। कोर्ट ने मुख्य सचिव और अन्य अधिकारियों को मामले में पक्षकार बनाते हुए शासन को चार सप्ताह का समय दिया है।
न्यायालय का रुख
हाईकोर्ट ने कहा कि बच्चों के पोषण से संबंधित मामलों में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य को बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण के संबंध में जवाबदेह होना चाहिए।
अगली सुनवाई 30 जनवरी को
राज्य शासन को निर्देश दिया गया है कि वह अगले चार सप्ताह में विस्तृत जवाब प्रस्तुत करे। मामले की अगली सुनवाई 30 जनवरी को होगी, जिसमें शासन द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज और रिपोर्ट पर विचार किया जाएगा।
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