🪔 “उस घर का आख़िरी दीप” 🪔
गाँव उसकर की पगडंडी पर एक पुराना घर है —कभी वहाँ दीपावली की रातें तारे बनकर उतर आती थीं।आँगन में माँ दिया जलाते हुए कहती थीं,“दीया सिर्फ़ तेल से नहीं, यादों से भी जलता है बेटा।”और पिता तुलसी चौरे के पास मिट्टी का दीप रखते हुए उच्चारण करते —“यह यमदीप मृत्यु नहीं, अधर्म…