हिरासत में युवक की मौत: हाईकोर्ट का सख्त रुख, 2 लाख मुआवजे का आदेश

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने हिरासत में एक युवक की संदिग्ध मौत को गंभीरता से लेते हुए इसे संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन के अधिकार) का उल्लंघन माना है। अदालत ने इस मामले को मानवाधिकार हनन की श्रेणी में रखते हुए मृतक की मां को दो लाख रुपये मुआवजा, 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित…

अनुकंपा नियुक्ति स्वीकारने के बाद उच्च पद या प्रमोशन की मांग अनुचित: हाईकोर्ट

हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा – यह एक बार मिलने वाला विशेष लाभ है, अधिकार नहीं बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि दया (अनुकंपा) के आधार पर दी गई नियुक्ति को यदि कोई व्यक्ति स्वीकार कर लेता है, तो वह भविष्य में किसी उच्च पद या प्रमोशन की मांग…

हाईकोर्ट ने खारिज की रेप पीड़िता के सोशल मीडिया अकाउंट की जांच की याचिका, कहा – यह निजता का उल्लंघन है

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बलात्कार पीड़िता के सोशल मीडिया अकाउंट (फेसबुक और इंस्टाग्राम) की जांच की मांग को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस तरह की जांच संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्राप्त निजता के अधिकार का उल्लंघन होगी। यह याचिका आरोपी की ओर से ट्रायल कोर्ट के…

20 वर्षों से सेवा दे रहे आयुर्वेद कर्मचारी को हाईकोर्ट से राहत, सेवाएं नियमित करने का आदेश

बिलासपुर।छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने आयुर्वेदिक स्वास्थ्य सेवा केंद्र में पिछले 20 वर्षों से दैनिक वेतन पर कार्यरत औषधालय सेवक को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने कर्मचारी की याचिका स्वीकार करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया कि उसके अभिलेखों का उचित मूल्यांकन कर, नियमों के अनुसार, उसकी सेवाओं को नियमित किया जाए। न्यायालय…

पेपरलेस कोर्ट की दिशा में महत्वपूर्ण कदम, हाईकोर्ट में दस्तावेजों के डिजिटलीकरण के लिए केंद्र की शुरुआत

बिलासपुर हाईकोर्ट ने न्यायपालिका को पेपरलेस बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए “डिजिटाइजेशन सेंटर” का शुभारंभ किया। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने इस पहल को न्याय प्रक्रिया को तेज, पारदर्शी और आधुनिक बनाने का माध्यम बताया। लंबित मामलों के दस्तावेजों को डिजिटल करके पेपरलेस कोर्ट का सपना साकार किया जाएगा, जिससे न्यायिक कार्यों में तकनीकी क्रांति आएगी।

बिलासपुर हाईकोर्ट अपडेट: सिविल जज परीक्षा के मानदंडों में बदलाव

बिलासपुर हाईकोर्ट ने सिविल जज परीक्षा के लिए बड़ा फैसला सुनाया है। अब लॉ डिग्रीधारी उम्मीदवारों को बार काउंसिल में पंजीकरण की आवश्यकता नहीं होगी और वे सीधे सिविल जज परीक्षा में बैठ सकेंगे। इस फैसले से सरकारी नौकरी करने वाले लॉ डिग्रीधारी भी परीक्षा के योग्य होंगे। इसके अलावा, आवेदन की अंतिम तिथि को एक महीने के लिए बढ़ा दिया गया है, जिससे उम्मीदवारों को और अधिक समय मिल गया है। यह निर्णय उन उम्मीदवारों के लिए राहत का सबब है, जो पहले बार काउंसिल पंजीकरण की शर्त के कारण असमर्थ थे।